उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र के इस गांव में पहली बार पहुंची बस तो खुशी से झूम उठे ग्रामीण
बड़े ही दुःख की बात है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश में ऐसे गांव मौजूद हैं जहां आज भी बस एवं गाड़ी पहुंचने के बाद ग्रामीणों का उत्साह चरम सीमा पर होता है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अलग राज्य बनने के 18 वर्षों बाद भी राज्य के अधिकांश ग्रामीण इलाके सड़क सुविधा से वंचित है। यही असुविधा उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन का एक मुख्य कारण भी है। लेकिन अब धीरे-धीरे देवभूमि उत्तराखंड के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र भी यातायात सुविधा से जुड़ रहे हैं आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही दुरस्थ ग्रामीण इलाके के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बीते दिनों पहली बार बस पहुंची तो ग्रामीणों ने हर्षोल्लास के साथ खुशी मनाकर बस का गांव में स्वागत किया। जी हां.. हम बात कर रहे हैं चमोली जिले के गैरसैंण विकासखंड के भटक्वाली गांव की। जहां नंदासैंण से भटक्वाली गांव में पहली बार बस पहुंचने पर ग्रामीण खुशी से झूम उठे और उन्होंने ढोल नगाड़ों से बस में आए अभियंताओं और जनप्रतिनिधियों सहित बस ड्राइवर का फूल-मालाओं से स्वागत किया।
बता दें कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत अब देश के विभिन्न ग्रामीण इलाके आए दिन यातायात सुविधा से जुड़ रहे हैं। उत्तराखंड के विभिन्न दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र भी इस योजना के तहत यातायात सुविधा से लाभान्वित हो चुके हैं । इसी योजना के तहत मालई-भटक्वाली मार्ग के निर्माण का पहला चरण पूरा हो चुका है सड़क निर्माण के बाद जब मालई से लेकर भटक्वाली तक बस पहुंची तो भटक्वाली के ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जैसे ही नये सड़क मार्ग से बस के ट्रॉयल की खबर ग्रामीणों ने सुनी तो गांव के सभी बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग बस और अधिकारियों के स्वागत के लिए वहां पहुंच गए जहां से गांव की सीमा शुरू होती है। इस दौरान ग्रामीणों ने बस में सवार होकर आए विभागीय अभियंताओं सहित कर्मचारियों का गर्मजोशी से स्वागत कर मिठाई बांटी। इस मौके पर ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क मार्ग के निर्माण से क्षेत्र की 400 से अधिक आबादी लाभान्वित होगी और उन्हें छह किलोमीटर पैदल रास्ता तय नहीं करना पड़ेगा।
