Timla Fruit Benifits Uttarakhand: उत्तराखंड का स्वादिष्ट फल तिमला है औषधीय गुणों से भरपूर….
कुदरत का उत्तराखंड राज्य को कई अमूल्य उपहार प्राप्त हैं। उन्हीं अमूल्य उपहारों में से एक उपहार है उत्तराखंड के जंगली मौसमी फल। उत्तराखंड में कई ऐसे मौसमी फल पाए जाते हैं जो अपने स्वाद और औषधीय गुणों से बाजार में मिलने वाले अन्य फलों को भी मात देते हैं। इन्हीं फलों में से आज हम आपको उत्तराखंड में पाए जाने वाला मौसमी फल “तिमला” (timla) से रूबरू कराएंगे जो स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर होता है और यह पोषक तत्वों के मामले में सेब और आम जैसे फलों को भी पीछे छोड़ देता है।(Timla Fruit Benifits Uttarakhand)
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तिमला फल (Timala fruit)
“तिमला” उत्तराखंड के पहाड़ों में पाए जाने वाला एक स्वादिष्ट फल है जो पौष्टिक तत्वों एवं औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका कच्चा फल हरे रंग का होता है और पकने पर यह हल्का भूरा, पीला और बैगनी रंग का हो जाता है। यह अंदर से गुदादार फल होता है जिसके अंदर शहद की तरह ही मीठा पदार्थ निकलता है जो स्वाद में काफी स्वादिष्ट होता है। इसे सब्जी एवं फल के रूप में खाया जाता है और यह हिंदी में अंजीर और पहाड़ी में तिमुल तिमल, और तिमला नाम से जाना जाता है। यह मोरेसी कुल का पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम फिकस ऑरिकुलेटा है। इसे कही पर बोने की जररूत नहीं पड़ती क्यूंकि यह स्वतह ही उगने वाला पौधा है। वनस्पति वैज्ञानिकों के अनुसार तिमला का फल ही इसका फूल होता है क्यूंकि इसके पेड़ पर किसी भी प्रकार का फूल नहीं लगता है। तिमला फल के पेड़ को ना तो उगाया जाता है और ना ही इसका उत्पादन किया जाता है यह स्वतह ही खेतों के मेड़ों पर उगता है।
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औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही पाए जाते हैं इसमें कई पोषक तत्व (Timla Fruit Benifits Medical)
उत्तराखंड राज्य में पाए जाने वाला यह फल ना केवल औषधीय गुणों से भरपूर बल्कि कई बीमारी के उपचार में भी काम आता है। कई रिसर्च व वैज्ञानिकों के अनुसार तिमला का उपयोग करने से शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति होती है यह कई प्रकार के शारीरिक विकार जैसे घाव भरना, पीलिया एवं अतिसार आदि गंभीर बीमारियों के रोकथाम में प्रयोग किया जाता है। इससे पेट और कब्ज़ संबंधित रोगों, गले की खराश और खांसी के लिए उपयोगी माना जाता है। यह शरीर के अंदर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है और इसके सेवन करने से शरीर में ग्लूकोस फ्रुक्टोज आदि की मात्रा की पूर्ति होती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि तिमला फल मार्केट मै मिलने वाले बड़े बड़े फल इत्यादि को भी मात देता है। इसका हरा फल विटामिन सी और पका हुआ फल मैं 50% ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सुक्रोज के मात्रा पाई जाती है । इसमें काफी मात्रा में फाइबर (17%) पाया जाता है तथा साथ ही इसमें (27%)कार्बोहाइड्रेट (6%) प्रोटीन फाइबर (1.37 मिलीग्राम) कैल्शियम (0.90 मिलीग्राम) पोटेशियम और मैग्नीशियम, फास्फोरस जैसे खनिज विद्यमान होते हैं। इसी के साथ इसमें प्रोटीन और विटामिन बी आदि पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इस फल में अत्यधिक मात्रा में ग्लूकोस पाया जाता है और इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है लेकिन यह कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें आम एवं अन्य फलों की तुलना में अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन फाइबर और खनिजों का बहुमूल्य भंडार शामिल है। तिमला में अत्यधिक मात्रा में (50 %) ग्लूकोज पाया जाता है जिस कारण इसके सेवन से कैलोरी और सूगर की प्राप्ति होती है। वर्तमान में इसका उपयोग सब्जी, अचार, जैम और जेली बनाने के साथ ही बेकरी उद्योग, फार्मास्युटिकल्स दवाई बनाने के प्रयोग और न्यूट्रास्यूटिकल इत्यादि में अधिक मात्रा में किया जाता है यह मधुमेह से ग्रसित मरीजों के लिए एक रामबाण इलाज है।
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इसमें फाइबर कैल्शियम विटामिन आदि की भरपूर मात्रा पाई जाती है जिस करण कब्ज में लाभदायक होता है। यही नहीं कई शोधों के मुताबिक कैंसर में भी यह लाभदायक है। इस फल से एक प्रकार का हल्का सा तेल का स्राव होता है जिससे कैंसर, हृदय रोगों और केलस्ट्रोल कम करने की दवाई बनती है। यह अन्य मौसमी फलों की भांति ही उच्च एंटीऑक्सीडेंट वाला फल है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होता है। इस में पाए जाने वाला कैल्शियम शरीर में हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। यह फल सूखने पर सूखे मेवे की तरह काम करता है जो पानी में भिगोकर खाए जाने से छाती रोग में लाभदायक सिद्ध होता है। इसी के साथ इसे अस्थमा एवं जुखाम के प्रयोग में भी लाया जाता है। तथा दूध के साथ इसके सूखे पाउडर का सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।इसमें अत्यधिक मात्रा में ग्लूकोज पाए जाने के कारण यह उच्च कैलोरी का स्रोत भी है। वन अनुसंधान संस्थान एफ आर आई की केमिस्ट्री डिवीजन के शोध से पता चला है कि तिमला के फल से निकलने वाले तेल में 4 ऐसे फैटी एसिड पाए जाते हैं जिनसे कैंसर जैसे बड़े-बड़े बीमारियों का इलाज संभव है।जिस कारण इस फल का उपयोग दवाई बनाने में किया जा रहा है। इसमें गंभीर रोगों की दवाइयों बनाने की क्षमता है।शोधकर्ताओं के मुताबिक तिमला के फल में 1.76 फ़ीसदी तेल पाया पाया गया है जो दवाई बनाने की मात्रा के लिए भरपूर होता है। तिमला में पाए जाने वाला 4 फैटी एसिड (वैसीसिनिक एसिड) मे कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने की क्षमता होती है। वहीं (ए (अल्पा) लाइनोंलेनिक एसिड) दिल की विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी सिद्ध होती है।लाइनोलेनिक एसिड की बात करे तो यह दिल की धमनियों के ब्लॉकेज हटाने में सहायक सिद्ध होती हैं। साथ ही ओलिक एसिड शरीर में निकलने वाला(लो – डेंसिटी लाइपोप्रोटीन ) की मात्रा को कम करता है जिससे क्रेलिस्ट्रोल का स्तर बढ़ा रहता है। इस प्रकार तिमले को दूध के साथ उबालकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर की कमजोरी दूर करने के साथ ही यह शरीर में रक्त विकार को भी दूर करता है।इसके पत्तों का उपयोग जानवरों को चारे के साथ-साथ दुधारू पशुओं को खिलाया जाता है क्योंकि इसे पत्ते के सेवन से दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ती है।