भारतीय नौसेना (Indian Navy) में अधिकारी बनकर शामिल हुए नेताला गांव निवासी दिपांग नौटियाल (Dipang Nautiyal), एनडीए के माध्यम से हुए थे चयनित..
जब भी बात देश की सेना या सेना में तैनात जवानों की बहादुरी, वीरता और साहस की आती है तो देश-विदेश में देवभूमि उत्तराखंड का नाम पूरे गर्व और सम्मान से लिया जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना, देवभूमि के वाशिंदों ने जल, थल तथा नभ तीनों ही सेनाओं में कई बार अपनी वीरता और पराक्रम का परिचय दिया है। वर्तमान में भी देवभूमि उत्तराखंड के युवा समय-समय पर सेना में भर्ती होकर प्राचीन समय से चली आ रही इस सैन्य परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू करा रहे हैं जो बीते 28 नवंबर को आयोजित हुई आईएनए की पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय नौसेना में अफसर बन गए है। जी हां हम बात कर रहे हैं राज्य के उत्तरकाशी जिले के नेताला गांव निवासी दिपांग नौटियाल की, जिन्होंने नेवी में अधिकारी बनकर न सिर्फ अपने माता-पिता और क्षेत्र का नाम रोशन किया है बल्कि समूचे उत्तराखण्ड को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। दीपांग की इस अभूतपूर्व सफलता से उनके परिवार के साथ ही पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है।
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2016 में एनडीए की परीक्षा पास कर दिपांग ने नौसेना अकादमी में लिया था दाखिला, अब पासिंग आउट परेड के बाद बने नेवी में अफसर:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी विकासखंड के नेताला गांव के रहने वाले दिपांग नौटियाल भारतीय नौसेना (इंडियन नेवी) में अफसर बन गए है। बता दें कि बचपन से ही मेधावी छात्र रहे दिपांग ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही वाणी निकेतन विद्यालय से प्राप्त की। तत्पश्चात इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई ऋषिराम शिक्षण संस्थान उत्तरकाशी से पूरी करने के बाद दिपांक ने 2016 में एनडीए की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की। जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2017 में कन्नूर स्थित नौसेना अकादमी में दाखिला लिया था। जहां कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात वह बीते 28 नवंबर को पासिंग आउट परेड में शामिल होकर वह एक नेवी अफसर बनकर निकले। बताते चलें कि दिपांग के पिता स्व. प्रदीप नौटियाल शिक्षक तथा चाचा स्व. सुनील नौटियाल पुलिस सेवा में रहे हैं जबकि उनकी मां गीता नौटियाल शिक्षा विभाग में प्रवर सहायक के पद पर तैनात हैं। दिपांग की इस अभूतपूर्व सफलता पर उनकी मां गीता और चाचा प्रवीण का कहना है कि दिपांग ने अपनी कड़ी मेहनत से न सिर्फ अपने स्व• पिता व दादा का सपना पूरा किया है बल्कि समूचे क्षेत्र के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड का गौरव भी बढ़ाया है।
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