Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day

उत्तराखण्ड बुलेटिन

पेशावर काण्ड के महानायक के परिजनों ने पीएम मोदी से लगाई पाकिस्तान जाकर रहने की गुहार

 


 ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह करने वाले वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 को हुआ था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने 23 अप्रैल 1930 को पेशावर में जंगे आजादी की लडाई लड़ रहे निहत्थों पठानों पर जब ब्रिटिश हुकुमत के गोली चलाने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया तो उन्हें इसकी सजा काला पानी के रूप में चुकानी पड़ी।पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें पडोसी मुल्क पाकिस्तान भेजनें की गुजारिश की है। दरअसल जिस देश के लोकतंत्र की खातिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने अंग्रेजो के खिलाफ खुला सैनिक विद्रोह कर कालापानी की सजा पाई थी उसी गढ़वाली के परिजनों को आज़ाद हिन्दुस्तान के हुक्मरानों ने अवैध अतिक्रमणकारी घोषित कर उनके स्वाभिमान को ठेस पहुँचा दी है।जंगे आज़ादी के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सैनिक विद्रोह से लेकर जन आंदोलनों से अंग्रेज इतने बौखला गये थे कि उनकी सारी संपति जब्त कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया था।





जंगे आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले गढ़वाली जी के योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा अभिभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान कोटद्वार के हल्दुखाता में लीज पर कुछ जमीन उनके परिजनों के साथ गुजर बसर के लिए दी गई। लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से इस लीज की ज़मीन को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा.। सबसे शर्मनाक बात तो अब ये हो गयी की जब वीर गढ़वाली के परिजनों को वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें यह ज़मीन खाली करने का लिखित फरमान सुना दिया। जिस देश की आज़ादी के लिए वीर गढ़वाली ने कालापानी की सजा भुगतने के साथ ही अंग्रेजो की दर्दनाक यातनाएं  झेली थी। उन्हें उस देश को छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेने के लिए प्रधानमंत्री से गुजारिश करनी पड़ रही है, इस फरमान ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को बहुत लज्जित कर दिया है।




ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ पहले खुले सैनिक विद्रोह कर उनकी चूलें हिलाने वाले यह वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ही है कि जिनका देश की आजादी में जितना बड़ा योगदान रहा, उतना ही उसके बाद भी यहां के नागरिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के रूप में रहा।.आज के इस दौर में जब अवसरवादी राजनीति ने अपना चरित्र और नैतिकता खो दी है, उस समय भारत माता का यह लाल याद आ रहा है। सड़कों पर भोपू लेकर असली समाजवाद की लड़ाई लडने वाला चन्द्र सिंह गढ़वाली ही था जिसने कांग्रेस की लालबत्ती में घूमने के वजाय सड़कों पर आम आदमी के लिए लड़ने की चुनौती स्वीकार कर मरते दम तक अवसरवादिता को हावी नहीं होने दिया।

Continue Reading
You may also like...
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड बुलेटिन

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top