Uttarakhand: पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य (Medical) सेवाओं के कारण एक बार फिर ग्रामीणों के साथ ही प्रसूता को उठानी पड़ी परेशानी, सड़क विहीन गांव से गर्भवती को पालकी के सहारे अस्पताल ले जा रहे थे ग्रामीण..
राज्य (Uttarakhand) के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य (Medical) सेवाओं की बदहाल व्यवस्था से आज कोई भी अनजान नहीं है। आलम यह है कि पर्वतीय जिला मुख्यालयों में स्थित अस्पताल तक मात्र रेफर सेंटर बन कर रह गए हैं। जिसका खामियाजा आए दिन स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी तो गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ रही है। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण कई नवजात तो सूरज भी नहीं देख पा रहे हैं। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के साथ ही सड़क विहीन गांवों के कारण भी समस्याएं आए दिन बढ़ रही है। आज फिर राज्य के चमोली जिले से बदहाल स्वास्थ्य सेवा की दुखद तस्वीर सामने आ रही है। जहां जंगल के रास्ते पालकी के सहारे अस्पताल जा रही महिला ने प्रसव पीड़ा होने पर जंगल में ही बच्चे को जन्म दे दिया। प्रसव के महिला और नवजात बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वो तो गनीमत है कि जच्चा-बच्चा सुरक्षित है अन्यथा ऐसी परिस्थितियों में किसी अनिष्ट की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के भनाली गांव निवासी मुकेश राम की 24 वर्षीय पत्नी मीना इन दिनों गर्भवती थी। बताया गया है कि बीते रविवार को वह जंगल में चारा लेने गई थी। इसी दौरान उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। जिस पर परिजन अन्य ग्रामीणों के साथ मीना को पालकी के सहारे अस्पताल ले जाने लगे। बता दें कि गांव से अस्पताल 32 किमी दूर जिला मुख्यालय में ही स्थित है। परिजनों के अनुसार अभी वह मीना को पालकी में लेकर गांव से दो किलोमीटर दूर ही आए थे कि एकाएक मीना की प्रसव पीड़ा बढ़ गई। इस पर गांव की महिलाओं ने ग्वादिक गदेरे में ही उसका प्रसव कराने का निर्णय लिया। गांव की महिलाओं की सहायता से मीना का प्रसव सफल रहा और मीना ने एक नवजात बच्चे को जन्म दिया। बच्चे की किलकारियां सुनकर परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद ग्रामीणों ने प्रसूता और नवजात को अस्पताल में भर्ती कराया जहां अब जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित बताएं गए है।
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