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Uttarakhand Government Happy Independence Day
Shary Gairola promoting uttarakhand culture through her classical pahari dance

उत्तराखण्ड

ऋषिकेश

उत्तराखंड की शैरी गैरोला के पहाड़ी नृत्य का शास्त्रीय रूप आपका दिल खुश कर देगा

नृत्य कला का ऐसा हुनर पहाड़ी गीतो को दे दिया शास्त्रीय नृत्य(Classical Dance) का रूप, देखते ही देखते सोशल मीडिया पर छा गयी ऋषिकेश की शैरी गैरोला(Shary Gairola)

उत्तराखण्ड की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर न सिर्फ ऊंचे-ऊंचे मुकाम हासिल कर रही है बल्कि देवभूमि उत्तराखंड का गौरव भी बढ़ा रही हैं। सबसे खास बात तो यह है कि उत्तराखण्ड की विलुप्त होती संस्कृति और लोकसंगीत को फिर से एक नए रचनात्मक ढंग से पुनर्जीवित करने में भी भी राज्य की बेटियां बड़े जोर-शोर से जुटी हुई है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जो पहाड़ी गीतों पर शास्त्रीय नृत्य(Classical Dance) कर पहाड़ी लोकसंगीत और संस्कृति को विश्व पटल पर एक नई पहचान दे रहीं हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले की रहने वाली शैरी गैरोला(Shary Gairola) की, जो देश-प्रदेश में आयोजित क‌ई कार्यक्रमों के साथ ही विदेशों में भी अपनी इस नृत्य कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। जिसे दर्शकों द्वारा काफी सराहा भी गया है।

 

 

 

देवभूमि दर्शन से खास बातचीत :बता दें कि मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के बौर गांव की रहने वाली शैरी गैरोला ने देवभूमि दर्शन से हुई खास बातचीत में बताया कि वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ ऋषिकेश में रहती हैं। वहीं वह सूरज डांस एंड फिटनेस स्टूडियो से एक डांस एकेडमी चलाकर बच्चों को शास्त्रीय नृत्य भी सिखाती है। कत्थक के क्षेत्र में डिप्लोमा और स्नातक करने वाली शैरी का सपना भी भविष्य में नृत्य शिक्षक बनकर बच्चों को शास्त्रीय नृत्य सिखाने का ही है। बताते चलें कि वर्तमान में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से इसी विषय से परास्नातक की पढ़ाई कर रही शैरी के पिता जहां एक व्यवसायी है वहीं उनकी मां एक कुशल गृहिणी है। शैरी बताती है कि बचपन से ही उनकी रूचि शास्त्रीय नृत्य में थी। मां ने उन्हें पांच वर्ष की उम्र से ही शास्त्रीय नृत्य सिखने के लिए भेजना शुरू कर दिया था। शैरी कहती हैं कि शास्त्रीय नृत्य का इतना विस्तृत ज्ञान उन्हें अपने शिक्षकों डॉक्टर दिपान्विता सिंघा रॉय, डॉक्टर विधि नगर और सुधा उपाध्याय से प्राप्त हुआ है। यहीं कारण है कि कार्यक्रमों में अपने शानदार प्रदर्शन का श्रेय भी शैरी अपने गुरूजनों को ही देती है। सबसे खास बात तो यह है कि शैरी देश-प्रदेश में आयोजित होने वाले अधिकांश कार्यक्रमों के साथ ही 2017 में भारतीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा क्यूबा हवाना डोमेनेटिक रिपब्लिक में आयोजित फेस्टिवल आफ इंडिया में भी प्रतिभाग कर अपने शास्त्रीय नृत्य का शानदार प्रदर्शन कर चुकी हैं।

 

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