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Uttarakhand: kumaon regiment martyr soldier Himanshu Negi from Kashipur body will reach home on his birthday from Sikkim.

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उत्तराखण्ड

ऊधमसिंह नगर

उत्तराखंड: जन्म दिन पर घर पहुचेगा शहीद हिमांशु नेगी का पार्थिव शरीर, माता पिता का रोकर बुरा हाल

उत्तराखण्ड के वीर सपूत शहीद (Martyr) हिमांशु का पार्थिव शरीर शुक्रवार को पहुंचेगा घर, सिक्किम (Sikkim) में हुए हादसे में पाई थी वीरगति, जन्मदिन के दिन ही पार्थिव शरीर देखने को मजबूर हुए परिजन..

2 जुलाई, यही वह दिन है जब आज से 21 वर्ष पहले उत्तराखण्ड के वीर सपूत हिमांशु नेगी ने अपनी मां की कोख से धरती पर जन्म लिया था। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि भविष्य में यही वह दिन भी होगा जब मां भारती की सेवा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीद (Martyr) हिमांशु का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर उसके घर पहुंचेगा। इसे नियती की मार ही कहा जाएगा कि जिस दिन को बीते वर्षों तक हिमांशु के परिजन बड़े धूमधाम से मनाया करते थे इस वर्ष उसी दिन उनको बेटे के पार्थिव शरीर के दीदार करने को मजबूर होना पड़ेगा। अभी दो दिन पहले की ही तो बात है परिजन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हिमांशु का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुटे हुए थे लेकिन बीते रोज सिक्किम (Sikkim) से आई बेटे की शहादत की खबर से न केवल परिवार में कोहराम मच गया बल्कि बेटे के जन्मदिन की सारी खुशियां भी पलभर में मातम में तब्दील हो गई। हिमांशु का पार्थिव शरीर शुक्रवार देर रात तक उनके घर पहुंचने की संभावना सेना के अधिकारियों द्वारा जताई गई है।
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गौरतलब है कि मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के रामनगर निवासी हिमांशु नेगी उन वीर जवानों में से एक है जो बीते बुधवार को सिक्किम में हुए हादसे में शहीद हो गए थे। बता दें कि वर्तमान में राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर के हेमपुर डिपो की पांडे कालोनी निवासी हिमांशु नेगी 27 मार्च 2019 को 7- कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। सिक्किम में पोस्टिंग से पहले वह जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल की बीनागुड़ी पोस्ट पर अपनी सेवाएं दे चुके थे। बीते दो जून को ही 45 दिन का अवकाश पूरा करने के बाद वह ड्यूटी पर लौटे थे। तब शायद ही परिजनों ने सोचा होगा कि वह अंतिम बार घर से ड्यूटी के लिए निकलेंगे। बीते बुधवार की सुबह 11 बजे रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर ने जैसे ही हिमांशु की शहादत की खबर उसके स्वजनों को दी तो परिवार में कोहराम मच गया। परिवार के इकलौते कमाऊं सदस्य की शहादत की खबर के बाद से ही जहां उनकी 90 वर्षीय दादी सरूली देवी, मां कमला देवी, भाई बिरेंद्र व चंदन और छोटी बहन दीपा का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं उनके पिता खुद का कठोर दिल दिखाकर परिजनों को संभालने की झूठी कोशिश कर रहे हैं।

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