उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में दोहराया जा सकता है 2016 का इतिहास, भाजपा (BJP) में बड़ी टूट की संभावना, 35 MLA इस्तीफा देने को तैयार, फिर शुरू हुई दिल्ली की दौड़, कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत के साथ बातचीत की भी चर्चा..
उत्तराखण्ड (Uttarakhand) की राजनीति में मचा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते शनिवार को नए मुख्यमंत्री चयन के बाद तो इसमें पूर्वानुमान के मुताबिक बढ़ोतरी देखने को मिली है। राज्य के मुखिया के रूप में पुष्कर धामी का नाम चयनित होने के बाद जैसी राजनीतिक पंडितों ने संभावना जताई थी वैसी ही कुछ परिस्थितियां भाजपा (BJP) में इस समय देखने को मिल रही है। भले ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सहित पार्टी के बड़े बड़े नेता मीडिया के कैमरों के सामने कुछ भी कहने से बच रहे हो और पार्टी के भीतर सब कुछ सही है, का राग अलापने में लगे हो परन्तु हकीकत इससे काफी अलग है। जिसको देखते हुए लगता है कि उत्तराखण्ड में एक बार फिर 2016 का इतिहास दोहराया जा सकता है। इस बार यह फूट भाजपा में पड़ती हुई दिखाई दे रही है जिसमें करीब तीन दर्जन से अधिक विधायक दिल्ली में इस्तीफा देने को तैयार बैठे हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व में कैबिनेट के साथ मुख्यमंत्री का शपथग्रहण समारोह आयोजित कराने वाली भाजपा रविवार को केवल नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को ही शपथ दिला रही है। इस बात की पुष्टि पूर्व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने करते हुए कहा है कि रविवार को केवल मुख्यमंत्री ही पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही भाजपा में बगावत के स्वर फुटने लगे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पुष्कर का अनुभवहीन एवं कम उम्र का होना है। पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। इसकी पुष्टि शनिवार को पुष्कर धामी को विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के हाव-भाव में भी देखने को मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन नेताओं में बिशन सिंह चुफाल, सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत भी शामिल हैं। बताया गया है कि बीती शाम ही सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत ने देश के गृहमंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह से फोन पर बात कर मुलाकात का समय मांगा है। कुल मिलाकर इस सियासी उठापटक के साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की अपने समर्थकों के साथ दिल्ली की दौड़ भी शुरू हो गई है। खबर तो यह भी आ रही है करीब तीन दर्जन से ज्यादा विधायकों के साथ ये दोनों नेता दिल्ली भी पहुंच गए हैं। उधर भाजपा के कई विधायकों के कांग्रेस के वरिष्ठ कद्दावर नेता हरीश रावत के साथ बातचीत होने की खबरें भी आ रही है। जिसको देखते हुए लगता है कि राज्य में एक बार फिर से बड़ी संख्या में विधायक दल बदलने जा रहे हैं।
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