Assistant Development Officer uttarakhand: दर्दनाक सड़क हादसे में हुए थे गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में उपचार के दौरान तोड़ा दम, गोल्डन कार्ड का भी नहीं मिला फायदा…
एक ओर जहां समूचे प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर है वहीं दूसरी ओर निर्वाचन ड्यूटी में लगे कार्मिकों की विभिन्न हादसों में मौत की दुखद खबरें आए दिन सामने आ रही है। बीते दिनों जहां बागेश्वर जिले में चुनाव का प्रशिक्षण लेने गए शिक्षक की संदिग्धावस्था में मौत हो गई थी वहीं अब ऐसी ही एक खबर राज्य के उत्तरकाशी जिले से सामने आ रही है जहां सहायक विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत एक कार्मिक की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई है। बताया गया है कि उक्त कार्मिक बीते दिनों जब वह बाइक से चुनावी बैठक में शामिल होने जा रहे थे तो उसी दौरान एक अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को भीषण टक्कर मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और नौ-दस दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझते हुए बीते 24 जनवरी को उन्होंने दम तोड दिया। मृतक कार्मिक का अभी एक माह पूर्व ही विवाह हुआ था। उनके आकस्मिक निधन से जहां परिजनों में कोहराम मचा हुआ है वहीं मृतक की नवविवाहित पत्नी की आंखों से अश्रुओं की धारा थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
(Assistant Development Officer uttarakhand)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट नगर पालिका क्षेत्र निवासी सुधीर उनियाल पुत्र रमेश प्रसाद उनियाल उद्यान विभाग में सहायक विकास अधिकारी के पद पर तैनात थे। बताया गया है कि वर्तमान में उनकी पोस्टिंग जिले के ही जरमोल धार क्षेत्र में थी, जहां से वह बीते 15 जनवरी को चुनाव की बैठक में शामिल होने जा रहे थे। इसी दौरान डेरेक के पास उनकी गाड़ी को एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। हादसे में गम्भीर रूप से घायल होने पर उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद देहरादून सीएमआई अस्पताल रेफर कर दिया। जहां बीते 24 जनवरी को उन्होंने आखिरी सांस ली। इस बाबत मृतक के शोकाकुल परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर अन्याय का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि गोल्डन कार्ड होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने कार्ड को अमान्य बताकर उन्हें 7 लाख का बिल थमा दिया है। इससे जहां गोल्डन कार्ड की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं वहीं परिजनों पर दोहरा पहाड़ टूट पड़ा है। विदित हो कि राज्य सरकार द्वारा गोल्डन कार्डधारकों को मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाती है। जिसके लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन से कुछ कटौती भी प्रतिमाह की जा रही है।
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