Rishikesh AIIMS Nursing Bharti: ऋषिकेश एम्स में हुई भर्ती प्रक्रिया में ताक पर रखे गए सारे नियम कायदे, 600 पदों पर राजस्थान के लोगों को दी नियुक्ति तो एक ही परिवार के 6 लोगों को किया भर्ती, अब यह बड़ सवाल है कि क्या उत्तराखण्ड के युवा है खाली वोट बैंक तक सीमित??…
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में बेरोज़गारी का मुद्दा छाया हुआ था। पक्ष-विपक्ष सहित सभी राजनैतिक दलों द्वारा जहां रोजगार देने और बेरोज़गारी के आंकड़ों पर सत्ताधारी दल को घेरते हुए युवाओं को अपने पाले में खिंचने की भरसक कोशिश की थी वहीं हाल ही में आई एक सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बताया गया था कि उत्तराखण्ड राज्य का हर दसवां वोटर बेरोजगार हैं। जी हां.. आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं, कुल मिलाकर हम यही कहना चाह रहे हैं कि उत्तराखण्ड में बेरोज़गारी चरम सीमा पर है, राज्य के हजारों पढे-लिखे युवा घर में बेरोजगार बैठने को मजबूर हैं परन्तु आज ऋषिकेश एम्स से बीते वर्षों में हुई नर्सिंग भर्ती को लेकर जो खुलासा हुआ है उसको सुनकर न केवल आप अपना आपा खो बैठेंगे बल्कि आपके पैरों तले की जमीन भी खिसक जाएगी। बताया गया है कि इस भर्ती में राजस्थान के लगभग 600 लोगों को नर्सिंग संवर्ग के पदों नियुक्ति दी गई है, इतना ही नहीं एक ही परिवार के छह लोगों की नियुक्ति भी इसके तहत की गई है। मामले का खुलासा होते ही अब यह पूरी भर्ती प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है।
(Rishikesh AIIMS Nursing Bharti)
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बता दें कि ऋषिकेश एम्स में 2018 से 2020 के बीच नर्सिंग संवर्ग में 800 पदों के लिए भर्ती निकाली गई। जिसमें आवेदन तो देशभर के युवाओं ने किया था परंतु नियुक्ति मिली तो केवल राजस्थान के लोगों को। बताया गया है कि इस भर्ती प्रक्रिया में 800 में से 600 पदों पर राजस्थान के लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि भर्ती प्रक्रिया में तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर एक ही परिवार के छः लोगों को नियुक्ति दी गई। मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम ने इसकी शिकायत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को दे दी है। अब इस मामले में आगे क्या कारवाई होती है यह तो देखने वाली बात होगी। फिलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है कि यदि भर्ती प्रक्रिया में नियम-कायदों को भूलकर भी नियुक्ति की जानी थी तो उत्तराखण्ड के बेरोजगार युवा कहा गए थे? या हम ये कहें की उत्तराखंड के युवा महज वोट बैंक तक ही सीमित है। हकीकत में उनकी सुध लेने वाला, उनके दुःख-दर्द समझने वाला कोई नहीं है। इन सभी सवालों के जवाब हम आप पर ही छोड़ते हैं, हमारे सवाल गलत है या सही ये भी आप ही तय कीजिए।
(Rishikesh AIIMS Nursing Bharti)
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