Dhari devi temple uttarakhand: लगभग आठ वर्ष बाद छः अप्रैल को नए मंदिर में प्रतिस्थापित होंगी मां धारी की मूर्ति..
देवभूमि उत्तराखंड के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्ध इस पावन धरा के कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है। जगह-जगह स्थित अनेक प्राचीन मंदिर इस बात का न सिर्फ प्रत्यक्ष प्रमाण है बल्कि वेदों-पुराणों के साथ ही अन्य धार्मिक एवं ऐतिहासिक ग्रंथों में इनकी महिमा का वर्णन भी मिलता है। पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में स्थित सिद्धपीठ मां धारी देवी को मंदिर भी ऐसी ही कुछ धार्मिक मान्यताओं से भरा हुआ पौराणिक स्थल है। माना जाता है कि मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती है। माता की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। अब आप सोच रहे होंगे कि आज हमें अचानक मां धारी देवी की याद क्यों आ गई तो इसके पीछे एक बड़ा कारण है। जी हां.. लगभग आठ वर्षों बाद मां धारी देवी की मूर्ति को आगामी छह अप्रैल को नए मंदिर में शिफ्ट किया जाएगा।
(Dhari devi temple uttarakhand)
यह भी पढ़ें- इन अलौकिक शक्तिओ की वजह से कहा जाता है माँ धारी देवी को उत्तराखण्ड की रक्षक और पालनहार
मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात इस संबंध में बीते रोज धारी देवी मंदिर प्रांगण में बद्री केदार मंदिर समिति के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में धारी देवी की मूर्ति को शिफ्ट करने का मुहुर्त निकाला गया। जिसके मुताबिक आगामी चैत्र नवरात्र में 6 अप्रैल को मां धारी देवी की मूर्ति प्रातः 3:33 बजे से 7 बजे के बीच पूरे विधि विधान और प्राण प्रतिष्ठा के साथ उनके मूल के ठीक ऊपर बने नव मंदिर में स्थापित की जाएगी। बता दें कि मां धारी देवी के इस नए मंदिर का निर्माण जीवीके कंपनी द्वारा कत्यूर शैली में किया गया है। इससे जहां केदारनाथ आपदा के लगभग 8 साल बाद मां धारी देवी को नया मंदिर मिलेगा वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं को भी पूजा पाठ करने में सुविधाएं मिलेंगी। विदित हो कि धारी देवी के पुराने मंदिर से मूर्ति प्रतिस्थापित करने के चंद रोज बाद 16 जून 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा आ गई थी। जिसमें भीषण नरसंहार हुआ था।
(Dhari devi temple uttarakhand)
यह भी पढ़ें- हिमालय पुत्री उमा (पार्वती) गिरिराज की कन्या अर्थात गिरिजा देवी जिन्हे जाना जाता है, गर्जिया देवी के रूप में