Uttarakhand School Fee Act: सरकार की सुस्ती और लेट लतीफी से लटका फीस एक्ट का मामला, ठंडे बस्ते में चला गया उत्तराखण्ड सरकार का फीस एक्ट बनाने का प्रस्ताव…
चुनावों के समय आम जनमानस से उनके सुख दुःख का भागीदार बनने का वादा करने वाले राजनैतिक दल सत्ता में आने के बाद कैसे गरीब और मध्यम वर्गीय आम जनता के दुःख दर्द को भूल जाते हैं ये कोई उत्तराखण्ड सरकार से सीखें। बता दें कि बीती सरकार के कार्यकाल में प्राइवेट स्कूलों के लिए फीस एक्ट बनाने का प्रस्ताव उत्तराखण्ड सरकार की लेटलतीफी के कारण एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया है। जी हां.. पिछली सरकार के अंतिम दौर में इसके लिए बनाए गए राज्य विकास मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) के संबंध में अभी तक नई सरकार द्वारा ना तो कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया है और ना ही इस दिशा में कोई नई कवायद ही हुई है।
(Uttarakhand School Fee Act)
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विदित हो कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने उत्तराखण्ड में प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से फीस एक्ट लागू करने का ऐलान किया था। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए राज्य विकास मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) बनाए जाने की भी घोषणा की थी। इसके संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया था। जिसमें राज्य विकास मानक प्राधिकरण को स्कूलों की फीस और एडमिशन प्रक्रिया को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। परंतु प्रदेश में दोबारा सरकार बनने के बाद जैसे उत्तराखण्ड सरकार अपनी इस घोषणा को भूल ही गई है। आलम यह है कि पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय जहां आज उत्तराखंड कैबिनेट का हिस्सा नहीं है वहीं नवनियुक्त शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस मुद्दे पर अभी तक कुछ भी नहीं कहा है। जिसको देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अभिभावकों की जेब कटती रही सरकार की बला से…। क्योंकि सरकार की सुस्ती की वजह से लटके फीस एक्ट की वजह से इस शैक्षिक सत्र में भी अभिभावकों की जेब पर फीस का अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है।
(Uttarakhand School Fee Act)
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