ssb gallantry award news: गौरवान्वित हुआ उत्तराखण्ड, बतौर सहायक कमांडेंट एसएसबी में कार्यरत रमन गुप्ता को मिला वीरता पुरस्कार, शौर्य और सूझबूझ का परिचय देते हुए बचाई थी साथियों की जान…
देवभूमि उत्तराखंड के वाशिंदे आज न केवल अपनी काबिलियत के दम पर चहुंओर छाएं हुए हैं बल्कि अपने शौर्य, वीरता और साहस का परिचय देते हुए मां भारती की रक्षा में भी जुटे हैं। सच कहें तो भारतीय सेना हो, या एसएसबी, आईटीबीपी, सीआरपीएफ जैसे अर्धसैनिक बलों में तैनात राज्य के वीर सपूत, सदैव ही मां भारती की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तत्पर रहते हैं। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही वीर सपूत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से उन्हें दिल्ली में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के रहने वाले तथा सीमा सुरक्षा बल में सहायक कमांडेंट के रूप में कार्यरत रमन गुप्ता की, जिन्हें यह वीरता पुरस्कार अपने शौर्य व चतुराई का परिचय देते हुए आतंकियों के हमले से साथियों की जान बचाने के लिए प्रदान किया गया है। रमन की इस शौर्य और वीरता से जहां उनके परिवार को उन पर गर्व है वहीं समूचा देवभूमि उत्तराखंड भी गौरवान्वित हुआ है।
(ssb gallantry award news)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के पंडितवाड़ी क्षेत्र में रहने वाले रमन गुप्ता को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय राज्य गृह मंत्री नित्यानंद राय द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बता दें कि एसएसबी में बतौर सहायक कमांडेंट तैनात रमन को यह पुरस्कार आतंकियों से अपने साथियों की जान बचाने के लिए प्रदान किया गया है। आपको बता दें कि तीन अक्टूबर 2017 को जब रमन, अपने साथियों के साथ श्रीनगर एयरफील्ड की सुरक्षा में तैनात थे उसी दौरान तीन हथियारबंद आतंकवादियों ने शाम करीब चार बजे वहां बने प्रशासनिक भवन में प्रवेश किया। इस बीच रमन को जैसे ही आतंकियों के इस दुस्साहस की सूचना मिली तो उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए भवन में घुसने का प्रयास किया लेकिन तभी आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जिस पर रमन ने अपनी शौर्य व चतुराई का परिचय देते हुए एक वैकल्पिक योजना के तहत न केवल भवन के पीछे की ओर लगे एयर कंडीशन को तोड़ दिया बल्कि सिग्नल सेंटर की खिड़की से गोली लगने से गंभीर रूप से घायल अपने साथियों को बाहर निकालकर उनकी जान भी बचाई थी।
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