Purola uttarakashi religion conversation: पुरोला के छिवाला गांव में सामूहिक धर्मांतरण की बड़ी घटना, पुलिस की जांच में हुआ बड़ा खुलासा, महिला ने लगाया प्रलोभन, उपहार देकर धर्मांतरण कराने का आरोप…
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जहां धर्म परिवर्तन पर सख्त कानून बनाने का दावा किया जा रहा है वहीं अब राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर सामूहिक धर्म परिवर्तन की घटनाएं होने लगी है। ऐसी ही एक खबर बीते दिनों राज्य के उत्तरकाशी जिले से सामने आई थी जहां पुरोला के छिवाला गांव में कुछ लोगों को धर्म परिवर्तन कराते हुए स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया था। जिसके बाद धर्मांतरण कराने आए लोगों के साथ कहासुनी और मारपीट हो गई थी। सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस विभाग की टीम ने जैसे तैसे मामले को संभाला। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में जहां बीते रोज व्यापारियों द्वारा बाजार बंद रखते हुए धरना प्रदर्शन किया गया वहीं पुलिस की जांच में सामने आया है कि मसूरी के पादरी पेस्टर जेजारस कोर्निलियस और उनकी पत्नी पुष्पा कोर्निलियस भी धर्म परिवर्तन कराने पुरोला पहुंचे थे। यहां उन्होंने ग्रामीणों को कई प्रलोभन भी दिए थे। फिलहाल पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद पादरी, उसकी पत्नी और चार अन्य को नामजद कर लिया है।
(Purola uttarakashi religion conversation)
आपको बता दें कि बीते 23 दिसंबर को देवढुंग क्षेत्र में एक संस्था के निर्माणाधीन भवन में आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा काटा था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि यहां बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र कर धर्मांतरण कराया जा रहा था। समारोह स्थल को एक धर्म विशेष के त्योहार के लिए सजाया गया था। पुलिस को दिए बयान में इस कथित घटना की एक महत्वपूर्ण महिला गवाह ने बताया है कि जगदीश ठाकुर और मिशनरी से जुड़े लोग कई दिनों से उसकी शादी का खर्च उठाने और उसे उपहार देने की पेशकश कर रहे थे। वह ईसाई मिशनरी से जुड़े इन लोगों के दबाव में आ गई थी और उसने 23 दिसंबर को देवढुंग क्षेत्र में आयोजित इस कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। नेपाली मूल की इस महिला ने दावा किया है कि ये सभी लोग उसका धर्म परिवर्तन करना चाहते थे। बताते चलें कि इस घटना के विरोध में बीते रोज पुरोला नगर व्यापार मंडल की ओर से क्षेत्र में बाजार बंद रखा गया। इस दौरान सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे। वहीं, व्यापारियों ने सड़कों पर उतरकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान व्यापार मंडल अध्यक्ष बृजमोहन चौहान ने कहा कि बाहरी लोगों द्वारा गरीबों को लालच देकर धर्मांतरण किया जा रहा है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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बता दें कि राज्य सरकार द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन के बाद राज्य में धर्मांतरण के आरोप में यह पहला मामला दर्ज हुआ है। संशोधन के बाद इस कानून में दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा अब आरोपी पादरी और अन्य को जल्द गिरफ्तार भी किया जा सकता है। उधर दूसरी ओर मिल रही जानकारी के अनुसार आरोपियों का वर्षों से पुरोला के छिवाला गांव में आना जाना लगा रहता था। इतना ही नहीं यहां गुपचुप तरीके से प्रार्थना सभाएं हो रही थीं। ये लोग अपने धर्म से संबंधित साहित्य भी गांव में वितरित कर रहे थे और हिन्दू धर्म के विरुद्ध भ्रामक प्रचार भी इन लोगों द्वारा किया जा रहा था। जिससे कई ग्रामीण इनके बिछाएं जाल में फंसने भी लगे थे। आपको बता दें कि पुरोला का यह गांव कम आबादी वाला गांव है। यहां उत्तराखंड मूल के निवासियों के साथ-साथ नेपाल मूल के लोग भी रहते हैं। इनमें से अधिकांश ग्रामीणों ने प्रलोभन में आकर अपना धर्म परिवर्तन भी करा लिया है।
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