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Uttarakhand Government Happy Independence Day
Uttarakhand government giving 50000 rupees for inter caste marriage & inter-faith marriage

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दूसरे धर्म और जाति में शादी करने पर 50 हजार रुपये देगी उत्तराखंड सरकार, आखिर क्या है सच्चाई?

उत्तराखंड (Uttarakhand) में अन्तर्जातीय विवाह (Inter Caste Marriage) और अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए दी जा रही धनराशि, प्रेस नोट वायरल होने के बाद गरमाई सियासत..

इन दिनों सोशल मीडिया पर टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपोंकर घिल्डियाल द्वारा जारी एक प्रेस नोट काफी चर्चाओं में हैं। जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड (Uttarakhand) के समाज कल्याण विभाग द्वारा अंतर्जातीय विवाह (Inter Caste Marriage) व अंतरधार्मिक विवाह पर नवविवाहित जोड़े को पचास हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि पाने के लिए अंतर्जातीय विवाह में जहां एक पक्ष का अनूसूचित जाति का होना का होना आवश्यक है वहीं अंतरधार्मिक विवाह किसी मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर या देवस्थान में संपन्न होना चाहिए। इतना ही नहीं इसके लिए विवाह के एक वर्ष के भीतर आवेदन करने की बात भी इस प्रेस नोट में बताई गई है। बता दें कि दिनांक 18 नवंबर 2020 को जारी इस प्रेस नोट ने जहां उत्तराखण्ड की सियासत में एक बार फिर उफान ला दिया है वहीं यह प्रेस नोट सोशल मीडिया पर भी काफी छाया हुआ है। प्रेस नोट के वायरल होने के बाद से राजनैतिक दलों से लेकर आम नागरिकों तक सभी राज्य की भाजपा सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। मामले की गम्भीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसका संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश तक दे दिए हैं।

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मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को दिए जांच के आदेश, साथ ही पूछा किन परिस्थितियों में आदेश जारी किया गया? यह है योजना का पूरा सच:-

अब यह जानना वाक‌ई दिलचस्प है कि जिस बात पर इतना हो हल्ला मचा हुआ है क्या वैसी कोई स्कीम उत्तराखण्ड सरकार द्वारा चलाई भी जा रही है या नहीं? इस संबंध में खोजबीन करने पर पता चला कि टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा जारी प्रेस नोट में जितनी भी बातें कही गई है वह सभी सत्य है। राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही यह स्कीम अविभाजित उत्तर प्रदेश की है, जिसे उत्तराखण्ड ने अलग राज्य बनने के साथ ही अपनाया है। उत्तर प्रदेश अंतरजातीय अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन नियमावली 1976 द्वारा इस योजना के तहत पहले अंतर्जातीय (एक जाति से दूसरी जाति) और अंतरधार्मिक (एक धर्म से दूसरे धर्म) विवाह पर दस हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। लेकिन वर्ष 2014 में तत्कालीन उत्तराखण्ड सरकार ने इस नियमावली में संशोधन किया और प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर पचास हजार रुपए कर दिया। परंतु प्रचार-प्रसार की कमी के कारण उत्तराखण्ड सरकार की यह स्कीम आम जनता तक नहीं पहुंच सकी। बताते चलें कि अब प्रेस नोट वायरल होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव ओमप्रकाश को न सिर्फ जांच के आदेश दे दिए हैं बल्कि यह भी बताने को कहा है कि आखिर किन परिस्थितियों में यह आदेश जारी हुए। इतना ही नहीं उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रदेश में धर्म परिवर्तन कर विवाह की आड़ में सांप्रदायिकता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। माना जा रहा है कि अब इस प्रकरण में टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी पर गाज गिर सकती है।

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