Mamta Joshi taxi driver: ममता ने परिस्थितियों से नहीं मानी हार, पति के स्वास्थ्य खराब होने पर खुद संभाली स्टेरिंग, आजीविका चलाने के साथ ही बखूबी निभा रही घर की जिम्मेदारियां भी….
वो विपरित परिस्थितियां ही होती है जिनमें इंसान बिखर भी जाता है और निखर भी। हालांकि यह इस बात पर निर्भर है कि हम परिस्थितियों का सामना किस तरह करते हैं। अब राज्य के बागेश्वर जिले की रहने वाली ममता जोशी को ही देख लीजिए ना, जिन्होंने पति की तबीयत बिगड़ने पर न सिर्फ परिवार की सारी जिम्मेदारी अपने सर पर ले ली बल्कि आजीविका चलाने के लिए टैक्सी का स्टेयरिंग भी संभाल लिया। उनके इस हौसले की लोगों ने जमकर सराहना की है। इस तरह ममता, कुमाऊं की दूसरी महिला टैक्सी चालक बन गई है। आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत की रहने वाली रेखा पांडे ने उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी चालक का खिताब अपने नाम किया था।
(Mamta Joshi taxi driver)
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के जैनकरास निवासी ममता जोशी ने सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए इसी माह की शुरूआत से टैक्सी चलाना शुरू किया है। पहाड़ की अन्य बेरोजगार महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनने वाली ममता के विपरित परिस्थितियों में भी इस बुलंद हौसले की पूरे क्षेत्र में जमकर सराहना हो रही है। बता दें कि ममता जैनकरास-बागेश्वर, बागेश्वर-काफलीगैर, बागेश्वर-अल्मोड़ा रूट पर टैक्सी चला रही हैं। ओम शांति टूर एंड ट्रैवल्स नाम से टैक्सी का संचालन कर रही ममता प्रतिदिन सुबह अपने गांव जैनकरास से बागेश्वर, बागेश्वर से काफलीगैर तक टैक्सी चलातीं हैं। इसके अतिरिक्त नंबर आने पर वह बागेश्वर से अल्मोड़ा के लिए भी सवारियों को अपनी टैक्सी में बैठाकर उन्हें सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाती है।
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आपको बता दें कि ममता ने यह कदम अपने पति सुरेश चंद्र जोशी की तबीयत बिगड़ने पर उठाया है। ममता के पति सुरेश लॉकडाउन से पहले अल्मोड़ा में एक मीडिया प्रतिष्ठान में काम करते थे। देशव्यापी लाकडाउन लगने पर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। जिसके बाद वर्ष 2021 में बैंक से ऋण लेकर सुरेश ने टैक्सी खरीदी। परंतु एकाएक सुरेश की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि कई महीनों तक टैक्सी खड़ी रखने की नौबत आ गई। एक तो घर में बीमार पति और उनकी दवाईयों का खर्च, दूसरा समय पर बैंक की किश्त ना भर पाने के कारण बैंक से लगातार आते फोन से ममता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद ममता ने खुद टैक्सी चलाकर परिवार की ज़िम्मेदारी संभालने का कठिन फैसला लिया। हालांकि वह कुछ ही समय में टैक्सी चलाना तो सीख गई परंतु लाईसेंस न बना होने के कारण टैक्सी नहीं चला पाईं। इसी वर्ष 8 मई को जैसे ही लाइसेंस बनकर उनके हाथ में आया तो अगले ही दिन ममता, अपनी टैक्सी में सवारियां भरकर बागेश्वर की सड़कों पर निकल पड़ी।
(Mamta Joshi taxi driver)
सबसे खास बात तो यह है कि इंटर पास ममता टैक्सी चलाने के साथ ही एक कुशल गृहिणी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही हैं। वह न केवल तीन साल की बेटी हरिप्रिया को संभालती है बल्कि अपने सास-ससुर की देखभाल के लिए भी समय निकालती हैं। ममता बताती है कि टैक्सी चलाने में उन्हें किसी तरह की दिक्कत महसूस नहीं हो रही है। परिवारजनों के साथ ही यात्रियों का पूरा सहयोग भी उन्हें मिल रहा है। अधिकांश पुरूष चालकों के नशीले पदार्थों के सेवन से परेशान सवारियां भी बेझिझक ममता की ट्रैक्सी में बैठकर सफर का लुत्फ उठा रहे हैं।
(Mamta Joshi taxi driver)