Mayank Papola Nikhil halduchaur; विधवा मां का इकलौता सहारा था निखिल उर्फ मयंक, शरीर पर चोट के निशान कर रहे दरिंदगी की तस्दीक, गुप्तांग को भी किया गया क्षतिग्रस्त…
राज्य में बेरोजगारी चरम पर है। यही कारण है कि राज्य के अनेकों बेरोजगार युवा नौकरी के लिए देश के बड़े बड़े महानगरों एवं दूसरे राज्यों का रूख करते हैं परंतु कई बार उन्हें इस नौकरी के कारण अपने प्राणों से भी हाथ धोना पड़ता है जिसका खामियाजा आजीवन उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है। आज फिर ऐसी ही एक दुखद खबर राजस्थान के जयपुर से सामने आ रही है जहां एक होटल में नौकरी करने वाले उत्तराखण्ड के एक और युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मृतक युवक की पहचान 22 वर्षीय मयंक पपौला उर्फ निखिल के रूप में हुई है। बताया गया है कि वह मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ के दौलिया डी-क्लास का रहने वाला था। उसके असामयिक मौत की खबर से जहां परिजनों में कोहराम मचा हुआ है वहीं उसकी मां का रो रोकर बुरा हाल है। वह अपनी मां का इकलौता सहारा था, उसके पिता का पहले ही निधन हो चुका है। इस संबंध में मृतक के शव को लेने गए परिजनों के मुताबिक निखिल के शरीर में चोट के निशान थे। जिस आधार पर उन्होंने हत्या की आंशका जताते हुए जयपुर पुलिस में तहरीर सौंप दी है।
(Mayank Papola Nikhil halduchaur)
अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ क्षेत्र के दौलिया डी-क्लास निवासी मयंक पपोला उर्फ निखिल ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर एक माह पूर्व ही जयपुर के प्रतिष्ठित हयात होटल में नौकरी शुरू की थी। बताया गया है कि होटल संचालकों ने बीते बृहस्पतिवार को उसके आकस्मिक निधन की सूचना परिजनों को दी। जिससे परिवार में कोहराम मच गया। इकलौते बेटे की मौत की खबर सुनकर मां किरन की आंखें पथरा गईं। पति के निधन के बाद मयंक पपोला उर्फ निखिल ही किरन का इकलौता सहारा था। लेकिन क्रूर हाथों ने उसे काल का ग्रास बनाकर आज निखिल को भी किरन से छीन लिया ।
(Mayank Papola Nikhil halduchaur)
परिजनों का आरोप है कि मयंक पपोला की हत्या की गई है और तस्वीरें भी इसी बात को बयां कर रही हैं कि मयंक के साथ अनहोनी हुई है। उसके शरीर पर चोट के निशान भी इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं। यहां तक कि उसके गुप्तांग को भी क्षतिग्रस्त किया गया था, जबकि हाथ एवं पांव में भी फ्रैक्चर बताया जा रहा है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब उत्तराखण्ड के युवाओं की नौकरी के दौरान दूसरे राज्यों में हत्या की गई हो। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि उत्तराखंड के युवा जो रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाते हैं उनकी इस तरह से हत्या होने का सिलसिला आखिर कब तक चलता रहेगा। क्योंकि अब तक की घटनाओं को देखकर तो यही लगता है कि हमारे जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदारों को तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उत्तराखंड के जनप्रतिनिधियों की कमजोर इच्छाशक्ति के कारण इस तरह की घटनाओं की बार बार पुनरावृत्ति हो रही है जो कि बेहद चिंता का विषय है।(Mayank Papola Nikhil halduchaur)