हल्द्वानी: पहाड़ की महिला के साथ 12 लाख की जमीन की धोखाधड़ी IAS दीपक रावत आए एक्शन में
Published on
उत्तराखंड के रुद्रपुर से भूमि संबंधित धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जहां एक महिला ने पैसे देकर रुद्रपुर में जमीन खरीदी लेकिन महिला का कहना है कि विक्रेता ना तो भूमि पर कब्जा दे रहा है और ना ही धनराशि वापस लौट रहा है। चलिए आपको पूरा मामला बताते है दरअसल बीते शनिवार को कैंप कार्यालय हल्द्वानी में कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की अध्यक्षता में जनसुनवाई आयोजित की गई। सुनवाई के दौरान कमिश्नर दीपक रावत ने आम जनमानस की समस्याओं और शिकायतों को गंभीरता से लिया। जिसमें सड़क, पेंशन, पेयजल, विद्युत, अतिक्रमण और अधिकांश शिकायतें भूमि विवाद सम्बन्धित आयी।
(Deepak Rawat Janta Darbar)
यह भी पढ़ें- चंपावत: अब यहां स्थलीय निरीक्षण को पहुंचे कमिश्नर दीपक रावत अधिकारियों को दिए ये निर्देश
इस दौरान द्वाराहाट अल्मोड़ा की निवासी देवकी अधिकारी के साथ हुई भूमि संबंधित धोखाधड़ी का मामला भी सामने आया। जहां उनका कहना है कि उन्होंने विक्रेता सतविन्दर सिंह से ग्राम जयनगर तहसील रुद्रपुर में 1800 वर्ग फीट की भूमि 12 लख रुपए में क्रय की थी। साथ ही इसकी धनराशि भी खाते में जमा की गई थी। लेकिन देवकी अधिकारी ने विक्रेता पर आरोप लगाते हुए कहा कि ना तो वह 12 लाख रूपये वापस कर रहा है और ना ही भूमि पर कब्जा दे रहा है। इसको लेकर महिला ने आयुक्त से 12 लाख की धनराशि वापस दिलाने की मांग की है। जिसके बाद आयुक्त ने जनसुनवाई में विक्रेता सतविन्दर को निर्देश दिए की एक सप्ताह के भीतर देवकी अधिकारी को धनराशि वापस की जाए। साथ ही आयुक्त ने अगले शनिवार को जनसुनवाई में विक्रेता सतविंदर को तलब किया है।
(Deepak Rawat Janta Darbar)
यह भी पढ़ें- हल्द्वानी: कमिश्नर दीपक रावत चौंक गए दरबार में जब मिले एक से बढ़कर एक फ्राड केस …
गढ़वाली कविता- भूली बिसरी गयी…Shubbi Bhole Bhandari poem भूली बिसरी गयी अपर बार त्यौहार ना पंचमी...
कुमाऊंनी कविता- हाय य असोज….Khushi Bhakuni Poem हम भाकुनियुक असोज कुछ अलग तरीकल मनई जा राती...
कुमाऊंनी कविता- “भूलती जड़ें, बुझती पहचान..”Ajay Arya “Khwarpir” poem हिटो बबा, हिटो बबा सुनणै-सुनणै बाब हिटण...
कुमाऊंनी कविता- चलो म ये काम त आऊं…ramesh joshi poem चलो म ये काम त आऊं।...
गढ़वाली कविता- रौंदू पहाड….Anshu dangwal poem आज कू पहाड़ी बिसरी गेनी आपणी संस्कृति पछांण नि औंनी...
कुमाऊंनी कविता- पहाड़ी नौकर…Neeraj Pant Poem कसी बनूल मैं पहाड़ी नौकर… बाज्यू क बीड़ी चे ईज...