Amit Kumar success story: हल्द्वानी जेल में बंद अमित ने हर दिन 4 से 5 घंटे पढ़ाई कर सीटेट परीक्षा भी की उत्तीर्ण, बतौर शिक्षक अमित अन्य कैदियों को भी कर रहे हैं साक्षर….
Amit Kumar success story
दर्द सबके एक है,
मगर हौंसले सबके अलग-अलग है,
कोई हताश हो के बिखर गया
तो कोई संघर्ष करके निखर गया!
इन चंद पंक्तियों को पढ़कर आप यह तो समझ ही गए होंगे कि आज हम एक बार फिर आपको एक संघर्षशील एवं प्रेरणादाई व्यक्तित्व से मिलाने जा रहे हैं। यदि आप फिल्म देखने के शौकीन हैं तो आपको पता ही होगा कि कुछ समय पहले एक फिल्म आई थी ‘दसवीं’… जिसमें एक अशिक्षित राजनेता को भ्रष्टाचार के कारण जेल हो जाती है। और फिर वह जेल में पढ़ाई करके दसवीं की परीक्षा पास करता है। यह तो हुई फिल्म की बात। लेकिन आज हम आपको वास्तविक जीवन में इस फिल्म एवं उपरोक्त पंक्तियों को सार्थक सिद्ध करने वाले उत्तराखण्ड के एक होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो किस्मत की मार और कानून की दुरूपयोग की वजह से जेल में बंद हैं। दरअसल यह पूरा मामला हल्द्वानी जेल परिसर का है, जहां जेल में बंद अमित कुमार ने न केवल जेल में रहते हुए पढ़ाई की बल्कि उत्तराखंड बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में भी मेरिट लिस्ट में टॉप 10 में जगह बनाकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। इतना ही नहीं उन्होंने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) परीक्षा पास कर ली है और वर्तमान में वह यूपीएससी द्वारा आयोजित होने वाली सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में अमित कुमार ने बताया कि वह मूल रूप से राज्य के ऊधम सिंह नगर जिले के किच्छा तहसील क्षेत्र विकास कॉलोनी के रहने वाले हैं। इसे कुदरत की मार कहें या पुलिस विभाग की लापरवाही या फिर कानून का दुरपयोग, चाहे कुछ भी हो परंतु इससे बचपन से पढ़ाई में अव्वल दर्जे के छात्र रहे अमित को जेल की चारदीवारी का कैदी बना दिया। अमित बताते हैं कि वह 20 दिसंबर 2022 को हल्द्वानी जेल में आया था। उनके ऊपर दहेज हत्या का झूठा आरोप लगाया गया था। और पुलिस ने बिना किसी जांच पड़ताल के दहेज़ हत्या अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया, जिससे कानून के लचीलेपन के कारण अमित के साथ ही उसका पूरा परिवार जेल में बंद हो गया। पूरे मामले को विस्तार से बताते हुए अमित कहते हैं कि उनके बड़े भाई रोहित कुमार की पत्नी की बीते 15 अगस्त 2022 को घर पर मौत हो गई थी। जिस पर उनकी भाभी के मायके वालों ने पूरे परिवार पर दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था। जिसके बाद पुलिस ने पहले 21 अगस्त 2022 को रोहित व उसके माता-पिता तथा 20 दिसंबर 2022 को अमित व उसके साफ्टवेयर इंजीनियर भाई हेमंत व राजकुमार को गिरफ्तार किया था।
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विपरीत परिस्थितियों में भी अमित ने नहीं मानी हार, कठिन परिश्रम से अपने सपनों को कर रहे साकार, दिल का दर्द बयां करते हुए लगाई दहेज हत्या अधिनियम की धाराओं में परिवर्तन की गुहार:-
बता दें कि इतनी विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न होने के बावजूद भी अमित ने हार नहीं मानी और जेल में रहकर ही खुद को कुछ साबित करने का संकल्प लिया। जिसके बाबत उन्होंने जेल प्रशासन को बताया कि वह आगे पढ़ना चाहतें है। जिस पर जेल प्रशासन ने भी उनकी मदद की। उन्हें किताबें उपलब्ध कराई गईं। जेल प्रशासन की मदद के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए अमित जेल में रहकर ही हर दिन 4 से 5 घंटे पढ़ाई करते हैं और दो महीने पहले ही उन्होंने सीटेट परीक्षा पास कर ली। अमित बताते हैं कि अब वो यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे है। इस संबंध में जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार पांडे का कहना है कि अमित को हर संभव मदद दी जा रही है। अमित के अलावा सैफ अली और विशप्ल नाम के बंदी भी जेल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। अमित की इस सराहनीय पहल के बाद जेल प्रशासन ने भी कैदियों को शिक्षा देने के लिए जेल परिसर में ही शिक्षा विद्या मंदिर नामक स्कूल की स्थापना की है, जिसमें अमित कुमार भी एक शिक्षक की अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि अमित कानून के लचीलेपन, पुलिस की लापरवाही और भ्रष्टाचार से भी काफी खफा हैं। वह अपनी इन विषम परिस्थितियों के लिए कानून व्यवस्था को दोषी ठहराते हुए कहते हैं कि दहेज हत्या अधिनियम की धारा 304(ब) में बदलाव होना चाहिए ताकि निरपराध लोग झूठे मुकदमे से बच सकें।
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