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Hiljatra mask dance uttarakhand

उत्तराखण्ड

पिथौरागढ़

उत्तराखण्ड: कुमाऊं का मुखौटा नृत्य बढ़ाएगा गणतंत्र दिवस परेड की शोभा, नजर आएगी हिलजात्रा

Hiljatra mask dance uttarakhand: लगातार दूसरी बार गणतंत्र दिवस परेड में देखने को मिलेगी पहाड़ की लोक विरासत, बीते वर्ष छोलिया नृत्य ने भी बढ़ाई थी गणतंत्र दिवस परेड की शोभा…

Hiljatra mask dance uttarakhand
आगामी 26 जनवरी को कर्तव्यपथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में इस बार भले ही उत्तराखंड की झांकी देखने को नहीं मिलेगी परंतु राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के सर्वाधिक रोमांचक लोक-नृत्य हिलजात्रा (मुखौटा) नृत्य इस बार गणतंत्र दिवस परेड की शोभा बढ़ाते हुए नजर आएगा। जी हां… लगातार दूसरी बार गणतंत्र दिवस परेड में पहाड़ की लोक विरासत देखने को मिलेगी। आपको बता दें कि बीते वर्ष 2023 में भी पिथौरागढ़ के छलिया नर्तकों के दल ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति से गणतंत्र दिवस परेड की शोभा बढ़ाई थी। सबसे खास बात तो यह है कि हिलजात्रा की तैयारी के लिए पिथौरागढ़ की भाव राग ताल नाट्य अकादमी के निदेशक कैलाश कुमार के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम दिल्ली पहुंच गई है। बताया गया है कि इसके लिए देशभर से 1300 अन्य महिला कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है।
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इस संबंध में पिथौरागढ़ की भाव राग ताल नाट्य अकादमी के निदेशक कैलाश कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में महिला कलाकारों द्वारा हिरन-चीतल, बैलों की जोड़ी, मां महकाली, एकलवा बैल और लाटा-लाटी का किरदार निभाया जाएगा। आपको बता दें सीमांत पिथौरागढ़ के साथ ही नेपाल का काफी लोकप्रिय पर्व हिलजात्रा आस्था और विश्वास के साथ ही रोमांच का भी प्रतीक है। सीमांत जिले में इसे 500 से अधिक वर्षों से मनाया जा रहा है। जिले के विभिन्न स्थानों पर इसका आयोजन होता है। इसमें सबसे अधिक कुमोड़ में आयोजित होने वाली हिलजात्रा काफी प्रसिद्ध है। जिसे देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। बताते चलें कि सातू-आंठू से विभिन्न गांवों में शुरू होने वाले इस कृषि पर्व का समापन पिथौरागढ़ में हिलजात्रा के रूप में होता है। जिसमें बैल, हिरण, लखिया भूत जैसे कई पात्र मुखौटों के साथ मैदान में उतरकर नृत्य से देखने वालों को रोमांचित कर देते हैं। इसका इतिहास काफी पुराना है और नेपाल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि गोरखा राज के समय वहीं से यह नृत्य सीमांत जिले की संस्कृति का हिस्सा बना था।

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