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Hansa rana poem
फोटो देवभूमि दर्शन Hansa rana poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “जब ले के चीज़ हार छु मि….” हंसा राणा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- जब ले के चीज़ हार छु मि….Hansa rana poem

जब ले के चीज़ हार छु मि,
जब ले डार मार छु मि
मिकैं म्यर घर याद औं
उ बचपन क आंगन
उ निंगाला का बाड़
उ ग्वर बाछन का ग्वाला
उ घाम क आषाढ
ईजा मिकैं घर बे दूर रेबेर
घर क भोत याद औं
म्यर घर क उ तिपारी मा बेसि
देखि जां पुर संसार
उ सौण भादौ क बारख
उ चैत बैसाख क त्यार
उ धान का खेति
उ ढोल दौमो नगार
सब याद औं
ईजा यो जीवन क संघर्ष मा
घर पाछि छैड़ी गयूं
उ रूख क ठंड हाव
उ पिपल ब्योड़ माव
त्यर हाथ क मुंणु क र्-वाट
कति याद औं
आपन घर क देल
बचपन क खेल
मिकैं सब याद औं॥
रचना-हंसा राणा, मुनस्यारी, पिथौरागढ़ (उत्तराखण्ड)
Hansa rana poem

यह भी पढ़ें- गढ़वाली कविता- “मेरा गौ का डांडी काठ्र्यों को हयू गोयी गे…” राहुल बिष्ट (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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