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Gopal Singh Janauti poem
फोटो देवभूमि दर्शन Gopal Singh Janauti poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “असोज….” गोपाल सिंह जनौटी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता – असोज…Gopal Singh Janauti poem

आओ रे सब आपुड – आपुड ग़ मुकुल जानू ।
य प्रदेश कै छोड़ी बेर घर पनै असोज काम सिमउरैनु।।
घान गाड़ लाल हैबे झड़न भै गई।
मड़ुवक गाड़न में मड़ुव सुदै कमलक जै फूल खिलरी ।।
सिमरन बख्त एक , खाड बख्त चार ऊनी
जैल जैती खाई उ भान उती रूनी।
असोजक जै य काम भय राति तीन बाज़ी बे उठनी रातक ग्यारह बज बाज जानी ।।
चार घंट नींद भय उमलै स्वैडा मै हिट्ड मैं रूनी।
जैक घर में चार छन उ हाय – हाय में ऐरी ,
जो एकल छ उ ईनैकै देखीये रूनी।।
नानतिन फोन में पबजी खेलनी, ब्वारी टीवी देखीयै रूनी ।
ईजा मेरी एकलै घास काटनी घास काटन काटने डाढ मारनी ।।
आओ रे सब आपुड – आपुड़ ग़ मुकुल जानू
आओ रे सब आपुड – आपुड़ देवभूमि जानू
रचना- गोपाल सिंह जनौटी, ग्राम पंचायत जनौटी पालड़ी जिला बागेश्वर (उत्तराखंड) वर्तमान में सिंगापुर
Gopal Singh Janauti poem

यह भी पढ़ें- गढ़वाली कविता- “भूमि जिथे हम छों पुंजदा……” अभिनव धूलिया (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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