कुमाऊंनी कविता – य म्यर पहाड़ छू….Yogesh khulbe poem
शीश हिमालय दंड्यु की छाऊ छू,
बारु महीन येती बसंत जे बात छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
पांच छू बद्री, पांच केदार छू,
पांच प्रयाग येती, हरि ज्यु को थान छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
चार छू धाम येती, देवता नू को नाम छू,
शिव ज्यु को सोरास येती, सप्त ऋषियों ध्यान छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
हुड़के की थाप छू, देवों को राग छू,
गुरूओ की रीत येती, देवों को न्याय छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
दंड्यु की आछेरी येती, रॉल को मसान छू,
कुलेकी देवी येती, धूणी को रिवाज छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
धोती छू कुर्ता छू, टोपी को रिवाज छू,
नाख नथुली येती, पिछोड़ा पछाड़ छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।
झंगोरक भात छू, सिंसौणक साग छू,
भटेकी चुरकनी मूअ क सलाद छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
चैत्र–बैसाख काफओ छू, सोढ़–भादो जामुन,
बेडू, तिमिल, घिंगारू येती, किल्मोड और हिसाऊ छू।
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
चोखी छू हवा, धारू को छू पानी,
ज्यठ बूढ़ा बतानी येती भूतो की कहानी।
सीध साध लोग येती, आपस में प्यार छू,
य म्यर पहाड़ छू, य म्यर पहाड़ छू।।
रचना- योगेश खुल्बे, ग्राम हऊली पो0 ऑफिस:– चौनलिया, अल्मोड़ा, उत्तराखंड पिन कोड 263680
Yogesh khulbe poem
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तृतीय विजेता को
गिफ्ट हैंपर
देवभूमि दर्शन मीडिया
(काव्य संकलन प्रभाग)