Uttarakhand employee biometric attendance: सरकारी दफ्तरों में समय की सख्ती: महीने में दो दिन की देरी माफ, तीसरी बार पर कटेगा अवकाश, फिर की जाएगी अनुशासनात्मक कार्रवाई…
Uttarakhand employee biometric attendance: उत्तराखंड सरकार ने अब सरकारी दफ्तरों में समय की पाबंदी को लेकर सख्त रुख अपना लिया है। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी महीने में तीन बार तय समय के बाद कार्यालय पहुंचता है, तो उसके अवकाश में कटौती की जाएगी। साथ ही इसके बाद भी लगातार लापरवाही बरतने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। इस संबंध में सचिव विनोद कुमार सुमन की ओर से बीते गुरुवार को आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। यह भी पढ़ें- Uttarakhand Anganwadi News: उत्तराखंड आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 20 मई से मिलेंगे नियुक्ति पत्र
uttarakhand govt office biometric attendance action जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक विभाग में बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित कराई जाए। सभी अधिकारी-कर्मचारी के आने-जाने के समय की सघन मॉनिटरिंग की जाएगी। प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे स्वयं इसकी नियमित समीक्षा करें। **यह होंगी सजा की श्रेणियां:** * *1 दिन देरी पर:* मौखिक चेतावनी
* *2 दिन देरी पर:* लिखित चेतावनी
* *3 दिन देरी पर:* एक दिन का अवकाश काटा जाएगा
* *4 दिन या अधिक:* अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: प्राइवेट स्कूल डाल रहें अभिभावकों की जेब में डाका एक साथ कैसे भरें 2 महीनों की फीस
Uttarakhand govt employee biometric attendance news today सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि कई कर्मचारी बायोमेट्रिक हाजिरी से बचने के लिए जानबूझकर देरी से आते हैं या किसी बहाने से नाम दर्ज नहीं कराते। सरकारी कार्यालयों में सुबह 10:15 बजे तक सभी कर्मचारियों को बायोमेट्रिक हाजिर लगानी अनिवार्य होगी। सचिवालय और अन्य विभागों में सुबह 9:45 बजे तक अधिकारी उपस्थित हों, यह सुनिश्चित किया जाएगा। प्रतिदिन नामित अधिकारी सुबह 10:15 बजे बायोमीट्रिक हाजिरी के विवरण की समीक्षा करेंगे। सचिवालय कर्मचारियों, अधिकारियों के लिए यह समय 9:45 बजे का है। यह भी पढ़ें- Uttarakhand wine shop: जनविरोध के आगे झुकी उत्तराखण्ड सरकार बंद होंगी शराब की नई दुकानें
लक्ष्य: बेहतर सेवाएं, बेहतर कार्यसंस्कृति:-
आपको बता दें कि मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों व कर्मचारियों की बायोमीट्रिक हाजिरी एक मई से अनिवार्य की थी। जिस पर मुख्य सचिव ने कहा था कि यह कदम सरकारी कार्य संस्कृति को अनुशासित करने के लिए उठाया गया है ताकि आमजन को समय पर और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिल सकें। अब ‘लेट-लतीफी’ की आदत पर पूरी तरह ब्रेक लगेगा।
सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।