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Pwd NH excutive engineer office lohaghat champawat
फोटो सोशल मीडिया NH office lohaghat champawat

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चम्पावत

उत्तराखंड: PWD कार्यालय से सेवा पुस्तिका गायब कानूनी राह छोड़ दैवीय आस्था का सहारा लेंगे अभियंता

NH office lohaghat champawat: न्याय की आस में देवता की शरण, PWD कार्यालय का अनोखा मामला, आखिर अब सरकारी तंत्र में भी न्याय की तलाश मंदिर तक पहुंची, आस्था के आगे हार गया इंजीनियरों का विज्ञान….

NH office lohaghat champawat: उत्तराखंड के चम्पावत जिले के लोहाघाट में अवस्थित राष्ट्रीय राजमार्ग खंड लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय से एक विचित्र घटना सामने आई है, जिसने विभागीय कर्मचारियों के बीच खलबली मचा दी है। अपर सहायक अभियंता जयप्रकाश की सेवा पुस्तिका कार्यालय से गायब हो गई, जिससे मामला गंभीर रूप ले लिया। इस घटना के बाद विभाग के कुछ कर्मचारी न्याय पाने के लिए एक असामान्य और दैवीय सहारे की मांग लेकर अधिशासी अभियंता के पास पहुंचे। खैर इस पूरे मामले को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि लोक मान्यताओं और दैवीय आस्था के आगे इंजीनियरों का विज्ञान भी नतमस्तक हो गया है।
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PWD office lohaghat champawat: इस विवादित मामले का मुख्य केंद्र अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार का कार्यालय है, जहां सेवा पुस्तिका गायब होने के बाद कर्मचारियों ने अपनी समस्या का हल मंदिर में दैवीय आस्था के जरिए खोजने का सुझाव दिया। वायरल हुए एक कार्यालय आदेश में यह भी निर्देश दिया गया कि सभी कर्मचारियों को 17 मई को कार्यालय में आकर अपने-अपने घर से दो मुट्ठी चावल लाकर मंदिर में अर्पित करना होगा ताकि देवता इस मामले में न्याय कर सकें। यह आदेश विभाग के सामान्य कार्यप्रणाली से बिल्कुल अलग था और इसे देखकर सभी हैरान रह गए। आप बता दें उत्तराखंड के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी न्याय पाने के लिए इस प्रकिया का उपयोग किया जाता है जिसे घात डालना कहते हैं। सामान्य भाषा में समझें तो इसमें परेशान व्यक्ति द्वारा परेशान करने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत कर दैवीय मंदिर में न्याय की पुकार की लगाई जाती है। वैसे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस पत्र के बारे में लोगों के अपने अपने मत है अपने अपने विचार हैं। ये ठीक वैसे ही जैसे अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग वाली कहावत है। क्योंकि आस्था और विश्वास को किसी भी पैमाने पर तोल पाना असम्भव है। पहाड़ों में आज भी कई बार खोई हुई चीज वापस पाने के लिए इस तरह की पद्धति का सहारा लिया जाता है और आस्था एवं विश्वास से खोई वस्तु सुरक्षित वापस मिलने का दावा भी लोगों करते रहते हैं।


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NH excutive engineer office lohaghat champawat हालांकि, जब इस मामले की पुष्टि के लिए अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार से मीडिया ने संपर्क किया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है और वायरल पत्र पर उनके हस्ताक्षर भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सेवा पुस्तिका के गायब होने की सूचना उन्हें मिली है और उन्होंने इस मामले की जांच का निर्देश दिया है ताकि शीघ्र ही समस्या का समाधान निकाला जा सके। आशुतोष कुमार ने कहा कि कर्मचारियों द्वारा जो भी प्रस्ताव या सुझाव आए हैं, उनका वे गंभीरता से अध्ययन करेंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने कोई दैवीय उपाय अपनाने के निर्देश नहीं दिए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि यदि सोशल मीडिया पर वायरल इस पत्र में अधिशासी अभियंता ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं तो उनके स्थान पर किसने हस्ताक्षर कर यह पत्र जारी कर दिया।‌
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Pwd lohaghat viral letter यह घटना सरकारी तंत्र में न्याय प्राप्ति के लिए प्रयुक्त पारंपरिक और औपचारिक प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न लगाती है। अधिशासी अभियंता कार्यालय से जुड़ा यह मामला यह भी दर्शाता है कि कभी-कभी विभागीय कर्मचारी भी असाधारण परिस्थितियों में असामान्य कदम उठाने की सोच सकते हैं, खासकर तब जब उनके सामने समस्या का त्वरित और निश्चित समाधान न हो। फिलहाल, विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले की पूरी जांच जारी है। यह देखने वाली बात होगी कि गायब हुई सेवा पुस्तिका कैसे वापस आती है और इस विचित्र स्थिति में किन निष्कर्षों पर पहुंचा जाता है। आशुतोष कुमार ने मीडिया से सहयोग की भी अपील की है ताकि इस मामले की सच्चाई जल्द से जल्द सामने आ सके। कानूनी राह छोड़ देवी देवताओं की शरण जानें वाले इंजीनियरों को न्याय मिलता है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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NH lohaghat viral letter यह घटना लोहाघाट लोक निर्माण विभाग के कार्यशैली और अनुशासन के संदर्भ में भी सवाल उठाती है, क्योंकि सेवा पुस्तिका एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और उसकी सुरक्षा एवं देखभाल कर्मचारी और विभाग की जिम्मेदारी होती है। अब विभाग को इस मामले से एक सटीक संदेश लेना होगा और भविष्य में ऐसे अनुचित घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। इस पूरे मामले में जहां एक ओर प्रशासन जांच कर रहा है, वहीं वायरल हुए पत्र और उसमें दिए गए आदेश ने सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। समय ही बताएगा कि इस अनोखे विवाद का समाधान कैसे निकलता है और क्या विभागीय प्रणाली को इस घटना से कोई सीख मिलती है। हालांकि इस संबंध में विभागाध्यक्ष की ओर से अधिशासी अभियंता को कारण बताओ नोटिस तलब कर दिया गया है और उनसे तीन दिवस के भीतर इस मामले में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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