roorkee tehsil bribery case : रुड़की तहसील में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश: विजिलेंस टीम ने पेशकार को 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा…
roorkee tehsil bribery case : हरिद्वार जिले के रुड़की में भ्रष्टाचार की एक और कड़ी उजागर हुई है। विजिलेंस टीम ने सोमवार को तहसील परिसर में कार्यरत अपर तहसीलदार के पेशकार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी पेशकार पर एक अधिवक्ता से न्यायिक कार्यवाही की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के एवज में 25 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है। कार्रवाई के समय आरोपी को 10 हजार रुपये लेते ही विजिलेंस टीम ने धर दबोचा।
शिकायतकर्ता की बहन के भूमि विवाद को लेकर मांगी जा रही थी रिश्वत
प्रकरण की शुरुआत उस समय हुई जब एक अधिवक्ता ने विजिलेंस के टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराई। अधिवक्ता ने बताया कि उसकी बहन की कृषि भूमि से जुड़ा मामला तहसीलदार न्यायालय में विचाराधीन था, जिसमें 24 मार्च 2025 को एकतरफा आदेश पारित कर दिया गया। इस पर अधिवक्ता ने 21 अप्रैल को मामले की पुनः सुनवाई के लिए रेस्टोरेशन अर्जी दाखिल की थी। आरोप है कि इस अर्जी पर कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए पेशकार ने 25 हजार रुपये की मांग की।
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पूर्व नियोजित योजना के तहत हुई गिरफ्तारी Uttarakhand corruption news today
शिकायत की पुष्टि के बाद विजिलेंस विभाग की ट्रैप टीम, देहरादून सेक्टर ने पूरी रणनीति बनाई। पीड़ित अधिवक्ता को केमिकल लगे 10 हजार रुपये के नोट सौंपे गए और जैसे ही पेशकार ने वह रुपये स्वीकार किए, मौके पर मौजूद टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी की पहचान रोहित पुत्र रामपाल सिंह निवासी अंबर तालाब, रुड़की के रूप में हुई है, जो वर्तमान में अपर तहसीलदार के पेशकार के रूप में कार्यरत था। गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस की टीम आरोपी के निवास और अन्य संभावित ठिकानों की भी तलाशी ले रही है। संपत्ति और आय के अन्य स्रोतों की जांच भी प्रारंभ कर दी गई है ताकि यह पता चल सके कि भ्रष्टाचार के तार और कितनी दूर तक फैले हैं। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
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प्रशासन के लिए चेतावनी और पारदर्शिता की पुकार Vigilance raid Uttarakhand news
यह घटना न केवल प्रशासनिक मशीनरी में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आम नागरिक अब अन्याय और रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। विजिलेंस की यह कार्रवाई न केवल कानून के डर को स्थापित करती है बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
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