Uttarakhand Heli Service SOP: आखिरकार केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसे के बाद अलर्ट मोड पर आएं सीएम धामी ने अपनाया सख्त रुख, प्रदेश में हेली सेवाओं पर नई एसओपी बनाने के आदेश जारी..
Uttarakhand Heli Service SOP: उत्तराखंड की पहाड़ियों में जब-जब हादसे होते हैं, सरकार की नींद तभी टूटती है। चाहे वो भयावह सड़क हादसे हों या फिर आसमां में होने वाली हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं। इसका जीता-जागता उदाहरण है कि केदारनाथ से लौट रहे हेलीकॉप्टर की दुर्घटना में सात जिंदगियों के बुझ जाने के बाद एक बार फिर शासन-प्रशासन अब हरकत में आया है।
सीएम धामी की बैठक, लेकिन कितनी बार पहले भी ऐसा हुआ?
केदारनाथ में हुए इस भयावह हेलीकॉप्टर हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित सीएम आवास में आपात वर्चुअल बैठक बुलाई, जहां मुख्य सचिव से लेकर आपदा सचिव और गढ़वाल कमिश्नर तक को जल्दबाज़ी में स्क्रीन के सामने बैठना पड़ा। हैरानी की बात यह है कि यह कोई पहली दुर्घटना नहीं थी। पहले भी हेली सेवाओं की लचर व्यवस्था पर उंगलियां उठती रही हैं, लेकिन अफसरशाही की मोटी खाल और कंपनियों की मनमानी के बीच किसी की सुनवाई नहीं हुई। हादसा हुआ, लोगों की जिंदगियां गई और अब सरकार “कठोर निर्देश” देने की मुद्रा में आ गई है।
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SOP की बात फिर से, पर क्या अबकी बार अमल भी होगा? Uttarakhand helicopter crash today
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए हैं कि अब राज्य में हेली सेवाओं की उड़ान से पहले मौसम की सटीक जानकारी लेना और हेलीकॉप्टर की तकनीकी जांच अनिवार्य होगी। उन्होंने एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति के गठन के आदेश दिए हैं, जो हेली संचालन की हर बारीकी की समीक्षा कर Standard Operating Procedure (SOP) तैयार करेगी। यह SOP अब तक क्यों नहीं बनी, इसका जवाब शायद खुद सरकार के पास भी नहीं है। सीएम ने स्पष्ट कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। समिति केवल ताजा हादसे ही नहीं, बल्कि पूर्व की सभी दुर्घटनाओं की भी गहराई से जांच करेगी। दोषी चाहे कंपनी हो या सरकारी महकमा — जवाबदेही तय की जाएगी और कार्रवाई होगी।
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हादसे में मारे गए श्रद्धालु और कर्मचारी—जिम्मेदार कौन? मौसम और तकनीक—हर बार यही बहाना क्यों? Uttarakhand helicopter service SOP
सवाल यह है कि क्या ये कदम एक और हादसे का इंतज़ार करने तक ही सीमित रहेंगे या इस बार वाकई कोई ठोस बदलाव ज़मीन पर दिखेगा? हेली कंपनियों की सुविधा आधारित उड़ानें, मौसम की अनदेखी, और तकनीकी जाँच को रस्म अदायगी की तरह निपटाने की प्रवृत्ति अब जानलेवा बन चुकी है।
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हेली सेवाओं में पारदर्शिता की बात, पर कंपनियों पर नकेल कब? Uttarakhand helicopter service accident
उत्तराखंड में हेली सेवाएं तीर्थ यात्रियों, आपदा राहत और आपातकालीन सेवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। लेकिन जब तक संचालन में पारदर्शिता और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जाती, तब तक श्रद्धालु भगवान भरोसे ही उड़ान भरते रहेंगे। सरकार की इस नई पहल से उम्मीद ज़रूर जगी है, लेकिन यह भी सच है कि SOP बनाने भर से दुर्घटनाएँ नहीं रुकतीं। ज़रूरत है सख़्त क्रियान्वयन और जवाबदेही की। वरना अगली दुर्घटना फिर किसी और घर का चिराग बुझा देगी — और फिर सरकार उसी कुंभकर्णी नींद से “एक बार फिर” जागेगी।
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