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Uttarakhand school: उत्तराखण्ड बारिश ने स्कूली बच्चों की पढ़ाई की चौपट कैसे होगी भरपाई
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Uttarakhand school holiday closed due to rain alert update today: बारिश की छुट्टियों ने लगाया बट्टा, चौपट हुई शिक्षा व्यवस्था
Uttarakhand school holiday closed due to rain alert update today: उत्तराखण्ड में जहां एक ओर प्रकृति ने अपना कहर बरपाया है वहीं मानसूनी सीजन में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन भी बेतहाशा प्रभावित हुआ है। भारी बारिश की सर्वाधिक मार बच्चों की पढ़ाई पर पड़ी है। भले ही बच्चों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के प्रशासन लगातार छुट्टियों की घोषणा कर रहे हैं, जो कि प्रशासन द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण एवं जरुरी कदम भी है क्योंकि एक बेहद पुरानी कहावत है, “जान है तो जहान है “, परंतु इससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह चौपट भी हो गई है। हालांकि अब शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए गर्मी और सर्दियों की छुट्टी में कटौती कर वर्षाकाल में अवकाश घोषित करने की बात कही है।
सरकारी स्कूलों के सबसे बुरे हाल…
कुल मिलाकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारी बारिश ने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था का बट्टा ही बैठा दिया है। इसमें भी सबसे बुरे हाल सरकारी स्कूलों के है, जहां वैसे ही पर्याप्त शिक्षक तैनात नहीं है और सालभर यानी शैक्षणिक कैलेंडर के हिसाब से स्कूल खुलने के बाद भी पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता है। ऐसे में लगातार हो रही स्कूलों की छुट्टी भले ही बच्चों के चेहरों में मुस्कान ला रही हो परंतु उनके भविष्य पर दाग भी लगा रही है। जिससे अभिभावकों का चिंतित होना भी स्वाभाविक है।
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अगस्त माह में 10 दिन भी संचालित नहीं हो पाए स्कूल
आपको बता दें कि जुलाई से अगस्त तक ही भारी बारिश के अलर्ट के कारण जहां देहरादून जिले में 12 दिन जिला प्रशासन द्वारा अवकाश घोषित किया गया है वहीं पर्वतीय जिलों में 20 से अधिक दिन स्कूल आंगनबाड़ी केंद्र बारिश के अलर्ट के कारण बंद रहे हैं। उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग जैसे आपदाग्रस्त जिलों में तो छुट्टियों की संख्या और भी अधिक है। बात अगर सितंबर माह की करें तो अधिकांश जिलों में जहां अभी तक बमुश्किल 1 दिन स्कूल खुले हैं वहीं चम्पावत जिले में तो सितंबर माह में बच्चों ने स्कूल का मुंह ही नहीं देखा है।
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इस वर्ष 240 दिन खुलने थे स्कूल
बताते चलें कि गतिमान शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के शैक्षिक कैलेंडर में स्कूलों में पढ़ाई के 240 दिन तय हैं। जबकि रविवार समेत अन्य सार्वजनिक अवकाश 77 हैं और शीतकालीन या ग्रीष्मकालीन अवकाश के 48 दिन हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानाचार्य और जिलाधिकारी को 3-3 दिवस अवकाश घोषित करने का अधिकार प्राप्त है अर्थात अगर बात शिक्षा विभाग द्वारा घोषित शैक्षणिक कैलेंडर की ही करें तो भी अप्रैल 2025 से मार्च 2026 तक कम से कम 234 दिन स्कूल संचालित होने चाहिए। परंतु अब ऐसा होना बिल्कुल असंभव है क्योंकि बारिश के कारण घोषित अत्यधिक अवकाश इन सबसे अलग है। इसके अतिरिक्त मैदानी जनपदों में गर्मियों में हीट वेव तो सर्दियों में कोल्ड वेव (शीतलहर) कोहरे के कारण भी अतिरिक्त अवकाश घोषित होते रहते हैं ।
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प्रतिवर्ष अप्रैल माह से शुरू होता है शैक्षणिक सत्र, सरकारी स्कूलों में जुलाई तक किताबों का इंतजार करते रह जाते हैं बच्चे
गौरतलब हो कि उत्तराखंड में नया शिक्षा सत्र प्रतिवर्ष अप्रैल माह से शुरू होता है। प्राइवेट स्कूलों में जहां पढ़ाई 10 अप्रैल से शुरू हो जाती है वहीं सरकारी स्कूलों में जून- जुलाई माह तक तो बच्चे नई किताबों की ही बांट जोहते रहते हैं। इसी दौरान बारिश का सीजन शुरू हो जाता है। जून-जुलाई में यदि किताबें मिल भी जाए तो लगातार हो रही छुट्टियों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि सरकारी स्कूलों में किसी विषय के 2-3 चैप्टर से ज्यादा अध्याय बच्चों को पढ़ाए जा चुके होंगे।
बात अगर अगस्त माह की करें तो शैक्षणिक कैलेंडर के हिसाब से जहां 23 दिन स्कूल खुलने थे वहीं बारिश की वजह से लगभग आधा महीना तो छुट्टियों में ही चला गया। ऐसी स्थिति में ना तो स्कूलों में पढ़ाई हुई और ना ही मासिक और सेशनल परीक्षा ही हो पाई।
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अभी तक नहीं भर पाए बोर्ड परीक्षा फार्म, अंतिम तिथि 10 सितंबर तक विस्तारित
आलम यह है कि अभी तक हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट छात्र छात्राओं के उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा फार्म भी नहीं भराए जा सके हैं। जिस कारण उत्तराखण्ड माध्यमिक शिक्षा परिषद को आवेदन की अंतिम तिथि 10 सितंबर तक विस्तारित करनी पड़ी है। इस साल तो और भी अधिक भयावह दृश्य देखने को मिला है, अगस्त माह में यदि बारिश के कारण सरकारी स्कूल खुले भी तो माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की चाकडाउन हड़ताल शुरू हो गई। अब बच्चों की पढ़ाई कितनी हुई होगी इसका अंदाजा आप आसानी से लगा सकते हैं।
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उत्तराखण्ड में 15 जून से 15 सितम्बर तक प्रतिवर्ष रहता है मानसूनी सीजन
ऐसे में शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठना लाजिमी है। क्योंकि बारिश का ये सिलसिला नया नहीं है। प्रतिवर्ष 15 जून से 15 सितम्बर के समय वर्षाकाल प्रभावी होता है। इस दौरान उत्तराखण्ड में भी मानसूनी सीजन के कारण अधिकांश दिवस भारी बारिश देखने को मिलती हैं। ये जानते हुए भी उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। यहां तक कि हमारे नीति-नियंता भी इससे अनभिज्ञ बनकर एक मूकदर्शक की भांति सत्ता सुख भोगने में व्यस्त हैं। वो चाहते तो गर्मियों और जाड़ों की छुट्टियों में कटौती कर वर्षाकाल के लिए अलग से छुट्टियां निर्धारित की जा सकती थी।
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बारिश के कारण हुई छुट्टियों का आनलाइन कक्षाओं से भी हो सकता था डैमेज कंट्रोल
शिक्षा विभाग भी पाठ्यक्रम को स्कूली दिवसों में विभाजित कर इस दिशा में कदम उठा सकता था। लेकिन सब मूकदर्शक बनकर बच्चों की पढ़ाई को आपदा के भरोसे छोड़ बैठे हैं। यह भी हो सकता था कि वर्षाकाल के दौरान कोरोना काल की तरह भौतिक रूप से तो स्कूल बंद रहे लेकिन आनलाइन कक्षाएं संचालित की जाएं।
वैसे पर्वतीय क्षेत्रों में इसमें भी एक अल्पविराम लग सकता है, वो है सुविधाओं का अभाव। वर्षाकाल के दौरान न केवल सड़क यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है बल्कि कई ग्रामीणों क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था भी चरमरा जाती है। पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद भी कई ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पर्वतीय क्षेत्रों में विगत 25 वर्षों में इंटरनेट व्यवस्था भी इतनी दुरस्थ नहीं की जा सकी है कि वहां 4जी अच्छे से चल सके।
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अलग राज्य बनने के बाद भी पर्वतीय क्षेत्रों के हिसाब से नहीं बन पाई नीतियां
खैर, इन सभी चीजों को देखते हुए यहां यहीं कहना सही होगा, बच्चों का भविष्य चौपट हो जाए सरकार की बला से। क्योंकि अलग राज्य बनने के बाद भी हमारे नीति-नियंता पर्वतीय क्षेत्रों के हिसाब से कोई नियम-कानून नहीं बना पाए है और वर्षाकाल में चरमराती शिक्षा व्यवस्था इसका जीता-जागता उदाहरण है। आज भी उन्हीं नियम-कायदों का संचालन उत्तराखण्ड में किया जा रहा है जो उत्तर प्रदेश के समय पर्वतीय क्षेत्रों में लागू थे। इसको देखकर तो यही लगता है कि उत्तराखंड राज्य, पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुख-सुविधाएं पहुंचाने के लिए नहीं वरन नेताओं की किस्मत चमकाने के लिए ही बना है।
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शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने लिया संज्ञान, बोले हम इस विषय को लेकर गंभीर, गर्मी जाड़ों की छुट्टियों में कटौती करने का कर रहे विचार
फिलहाल ऐसा लगता है कि चरमराती शिक्षा व्यवस्था की झलक अब उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को भी दिखाई देने लगी है। क्योंकि मीडिया को दिए हालिया बयान में उन्होंने कहा है कि गर्मियों और जाड़ों की छुट्टियों में कटौती कर मानसून में 10 दिवस की छुट्टी देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हम बरसात के लिए अलग से छुट्टियों की व्यवस्था करने जा रहे हैं। इसके लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। अभी जो छुट्टियां मौसम की वजह से करनी पड़ी हैं, उसकी भरपाई की भी व्यवस्था की जा रही है। ताकि छात्रों का नुकसान न हो। अब शिक्षा मंत्री इसके प्रति कितने गंभीर है ये तो इस बात पर निर्भर करता है कि कितने समय में यह प्रस्ताव कैबिनेट से पास होकर अमलीजामा पहन पाता है।
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