anadolu yakası escort - bursa escort - bursa escort bayan - bursa bayan escort - antalya escort - bursa escort - bursa escort -
istanbul escort - istanbul escorts -
ümraniye escort - bursa escort - konya escort - maltepe escort - eryaman escort - antalya escort - beylikdüzü escort - bodrum escort - porno izle - istanbul escort - beyliküdüzü escort - ataşehir escort - van escort -
Connect with us

उत्तराखण्ड

देहरादून

शहीद मोहनलाल रतूड़ी के छोटे से बेटे ने दिया पिता के द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवाल का बड़ा जबाव

छोटी सी उम्र में बच्चों के सर से पिता का साया उठ जाएं तो उन बच्चों पर क्या बीतती है इस को सिर्फ वहीं समझ सकता है जिस पर से खुद यह परिस्थिति गुजरी हों। छोटी सी उम्र में ही इन बच्चों के कंधों पर जिम्मेदारियों का बड़ा बोझ आ जाता है। छोटी सी उम्र में ही आई घर की बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां इन बच्चों से इनका बचपना छिनकर इन्हें एक गम्भीर बालक बनने को मजबूर कर देती है। मां के साथ ही इन बच्चों के चेहरों पर भी पिता के ना होने का दुःख साफ झलकता है। कहा जाता है कि माता-पिता के व्यक्तित्व की झलक बच्चों पर साफ झलकती है, और अगर पिता देशभक्ति से ओत-प्रोत वीर जांबाज योद्धा हों तो बच्चों का भी धीर-गंभीर एवं हिम्मत वाला होना स्वाभाविक ही है। कुछ ऐसी ही कहानी है 14 साल के मासूम बेटे राम रतूड़ी की, जिसके सर से भी हाल ही में पिता का साया उठ गया। राम जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के वीर जांबाज एएसआई मोहनलाल रतूड़ी का सबसे छोटा बेटा है। डबडबाती आँखों से  पिता को याद करते हुए राम ने कहा-मेरे पापा रियल हीरो थे। देश के हीरो। देश के वीर सिपाही। उनके जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।




पिता के द्वारा अक्सर पूछे गए सवाल का दिया ये जबाव- शहीद मोहनलाल के सबसे छोटे लाडले बेटे ने बताया कि पापा उससे अक्सर एक ही सवाल पूछते थे कि बेटा राम बड़ा होकर क्या बनना चाहता है? यह कहते-कहते राम की आंखें आंसूओं से भर आई। भरी हुई आंखों से वह बोला मेंने कभी आपके सवाल का जवाब नहीं दिया और आज जब मैं जबाव दे रहा हूं तो आप हमारे बीच नहीं हो। इसके साथ ही पिता की ड्यूटी में जाने से पहले की तस्वीर को देखकर वो बोला- पापा, मैं भी अब फौजी बनूंगा, वतन की हिफाजत करूंगा और दुश्मनों से आपकी शहादत का बदला भी लूंगा। तस्वीर में शहीद मोहनलाल सीना तान कर खड़े थे। जिनको देखकर ही इस दुःख की घडी में भी यह मासूम बालक जोश से भरा हुआ था। वह बोला पिता की यही यादें मुझे इन कठिन परिस्थितियों में भी लड़ने का होंसला प्रदान करती है। पिताजी को याद करते हुए वह बताता है कि पिछले दो साल से उसके पापा कश्मीर में तैनात थे। इस दौरान जब भी वह घर आते थे तो कश्मीर के आंतक की कहानियां सुनाते थे। वो कहते थे कि कश्मीर की ठंड से दुगुना गर्म वहां का माहौल है, जिसका एकमात्र कारण कश्मीर में फैला हुआ ये आतंक ही‌ हैं। वहां एक बार आपरेशन शुरू हो जाए तो वह क‌ई दिनों तक चलता रहता है। इस खराब माहोल के कारण ही कश्मीर में भूख के बावजूद भी खाना खाने का मन नहीं करता।




गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। हमले में शहीद हुए जवानों में मूल रूप से उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ के बनकोट गांव के रहने वाले मोहनलाल रतूड़ी भी शामिल थे। वर्तमान में देहरादून के कांवली रोड स्थित नेहरू पुरम एमडीडीए कालोनी निवासी मोहनलाल रतूड़ी सीआरपीएफ की 110वीं वाहिनी में एएसआई के पद कार्यरत थे। 53 वर्षीय शहीद मोहनलाल के पांच बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी अनुसुइया का विवाह हो चुका है। दूसरे नंबर का बेटा शंकर योगा प्रशिक्षक है। तीसरी बेटी वैष्णवी ने हाल ही में ग्रेजुएशन पूरा किया है तो चौथे नंबर की बेटी गीता अभी 12वीं में है। शहीद मोहनलाल के सबसे छोटे बेटे का नाम राम है। 14 वर्षीय मासूम बालक राम 9वीं में पड़ता है। शहीद मोहनलाल रतूड़ी के सभी बच्चे बताते हैं कि उनकी पिता से अंतिम बार बात 14 फरवरी की सुबह करीब 11:30 बजे हुई थी, जिसमें पापा ने हर बार की तरह सबका हाल-चाल पूछा था। सबसे छोटा बेटा राम कहता हैं कि क्या पता था कि ये उसकी पापा के साथ अंतिम बात होगी और शाम को उनकी शहादत की खबर मिलेगी।




More in उत्तराखण्ड

Advertisement

UTTARAKHAND CINEMA

PAHADI FOOD COLUMN

UTTARAKHAND GOVT JOBS

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top