स्रोत-हिंदुस्तान
उत्तरकाशी :चामकोट के ग्रामीणों की मुसीबत खत्म नहीं हो पाई हैं। आपदा के छह साल बीत जाने के बाद भी पुल नहीं बना है। यहां के बच्चों को ट्राली के सहारे ही जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचना पड़ता है।
वर्ष 2012 और 2013 की आपदा में भटवाड़ी ब्लॉक का चामकोट गांव पूरी तरह-अलग थलग पड़ गया था। गांव के लिए जो सड़क और पुल आवागमन का जरिया था, वह सब भागीरथी नदी की उफनाती धारा में बह गए। इससे ग्रामीण पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए। जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की आवाजाही के लिए ट्राली का इंतजाम किया, जो आज गांव तक पहुंचने का एकमात्र जरिया बनी हुई है। गांव से एक दर्जन से अधिक छात्र-छात्राएं हर दिन हिम क्रिश्चन एकेडमी, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, तथा राजकीय इंटर कॉलेज मातली में अध्ययन करने के लिए ट्राली से ही आते-जाते हैं।
भागीरथी नदी पर चामकोट के ग्रामीणों की आवाजाही के लिए लगी ट्राली से हाथ कटने का खतरा रहता है। ट्राली से आवाजाही के दौरान अब तक दर्जनभर लोग चोटिल हो चुके हैं। बीते वर्ष मातली से चामकोट नदी पार कर रही एक युवती तथा एक युवक की अंगुलियां ट्राली में फंसकर कट गई थीं। स्थानीय निवासी रामकुमार चमोली तथा स्यालिग राम चमोली ने बताया कि वह बीते छह सालों से राज्य सरकार से पुल निर्माण की गुहार लगा रहे हैं, जिसमें उनको केवल आश्वासन दिया जा रहा है। कहा कि पुल न होने के कारण गांव में कोई बड़ा आयोजन भी नहीं हो पाया है। विधायक गंगोत्री गोपाल रावत का कहना है कि चामकोट गांव में विश्व बैंक से पुल की स्वीकृति मिल चुकी है। जिसकी डीपीआर और साइड चयनित करने की कार्यवाही की जा रही है। जल्द ही इसका कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा।