बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की ऐसी परंपरा है कि बसंत पंचमी के दिन ही यह तय किया जाता है कि मंदिर के कपाट किस दिन खुलेंगे और शुभ मुहूर्त क्या होगा। प्रत्येक वर्ष अप्रैल – मई के माह में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं व शीतकाल में जोकि नवंबर के माह के तीसरे सप्ताह में बंद हो जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष 6 माह के लिए कपाट बंद रहते हैं।
श्री बद्रीनाथ मंदिर समिति के अधिकारियों के अनुसार राज मनुजेंद्र शाह ने परंपरा को निभाते हुए राजपुरोहितों एवं अन्य विद्वानों की उपस्थिति में 30 अप्रैल 2018 की सुबह साढ़े चार बजे का मुहूर्त बद्रीनाथ के कपाट खुलने का तय किया है, जिसके बाद पूजा-अर्चना होगी, फिर सभी श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे।
राजा मनुजेंद्र शाह ने इस मौके पर अपने उत्तराधिकारी की भी घोषणा की है, उन्होंने अपनी पुत्री शिवजा कुमारी अरोड़ा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है क्योंकि उनका कोई पुत्र नहीं है। इसलिए राजा मनुजेंद्र शाह के बाद उनकी पुत्री शिवजा ही बद्रीनाथ के कपाट खुलने की परंपरा को निभाएंगी।बद्रीनाथ धाम की ऐसी परंपरा है कि जब कपाट खुलने की तिथि की घोषित हो जाती है तो राजमहल की कुंवारी कन्याएं और महारानी तिल का तेल निकालकर गाडू घड़े में रखती हैं जिसके पश्चात बाद घड़े को बहुत सुंदर तरीके सजाया जाता है और बदरीनाथ के कपाट खुलने से 16 दिन पहले गाडू घडी तेल कलश शोभा यात्रा निकलती है, जो बद्रीनाथ के पुजारियों के गांव डिम्मर सिमली होते हुए बदरीनाथ पहुंचती है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद इसी तेल से भगवान् बद्रीनाथ का अभिषेक किया जाता है। अन्य तीन धाम केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने का समय बाद में तय किया जाएगा।