देहरादून जनता दरबार में शिक्षिका ने मुख्यमंत्री को कहे अपशब्द,मुख्यमंत्री ने दिए तुरंत निलंबित करने के आदेश
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज यहां ‘जनता मिलन’ कार्यक्रम में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका को निलंबित करने तथा उसे हिरासत में लेने के आदेश दिये। गुरुवार को गढ़ी कैंट स्थित सीएम आवास में लगे जनता दरबार में 150 से ज्यादा फरियादी मौजूद थे। बता दे की देहरादून में आयोजित किए गए जनता दरबार में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोगों की समस्या सुनने के लिए बैठे थे, लेकिन इस दौरान एक महिला शिक्षिका ने अपने ट्रांसफर को लेकर उनसे अपशब्द कह दिये।
वही आवेश में आये मुख्यमंत्री रावत ने उत्तरकाशी जिले के नौगांव प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत के खिलाफ कार्रवाई के आदेश तब दिये जब उसने अपने तबादले के लिए गुहार लगायी। बता दें कि महिला 20 सालों से उत्तरकाशी के प्राइमरी स्कूल में तैनात है और लंबे समय से अपने ट्रांसफर की मांग कर रही है।उत्तरा ने कहा कि वह पिछले 20 साल से दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रही है और अब अपने बच्चों के साथ रहना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और अब वह देहरादून में अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ना चाहतीं। उत्तरा ने कहा, ”मेरी स्थिति ऐसी है कि ना मैं बच्चों को अकेला छोड़ सकती हूं और ना ही नौकरी छोड़ सकती हूं।
मुख्यमंत्री ने शिक्षिका को सस्पेंड करने के आदेश दिए: उत्तरा बहुगुणा जोर-जोर से चिल्लाने लगी। खूब हंगामा करने लगी। यहाँ तक की लोग इस हंगामे का वीडियो तक बनाने लगे , मुख्यमंत्री ने शिक्षिका को सही से बात करने की हिदायद दी और कहा कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो सस्पेंड कर दिया जाएगा। उत्तरा बहुगुणा ने एक न सुनी और अपशब्द कहना जारी रखा।
जिससे मुख्यमंत्री भी आवेश में आ गये और उन्होंने शिक्षिका को सभ्यता से अपनी बात रखने को कहा लेकिन जब उत्तरा नहीं मानीं तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों को उन्हें तुरंत निलंबित करने और हिरासत में लेने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री द्वारा यह पूछे जाने पर कि नौकरी लेते वक्त उन्होंने क्या लिख कर दिया था? उत्तरा ने गुस्से में जवाब दिया कि उन्होंने यह लिखकर नहीं दिया था कि जीवन भर वनवास में रहेंगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार शिक्षिका को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, बाद में उन्हें हिरासत से रिहा कर दिया गया।
यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति में भी इस घटना का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अपने स्थानांतरण के लिए आई उत्तरकाशी की एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने अभद्रता दिखाई और अपशब्दों का प्रयोग किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ”जनसमस्याओं की सुनवाई के दौरान स्थानान्तरण संबंधी अनुरोध बिल्कुल न लाए जाएं। राज्य में तबादला कानून लागू होने से राजकीय सेवाओं के सभी स्थानान्तरण नियामानुसार किए जाएगे। स्थानांतरण के लिए जनता मिलन कार्यक्रम उचित मंच नहीं है।
इतना ही नहीं उत्तरा के अलावा कई अन्य सरकारी कर्मचारी भी दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अपने स्थानांतरण की गुहार लगाने ‘जनता मिलन’ कार्यक्रम पहुंचे थे लेकिन मुख्यमंत्री रावत ने साफ किया कि यह कार्यक्रम ऐसी बातों को उठाने के लिए उचित मंच नहीं है।
