उत्तराखण्ड के लोकगायक स्व. पप्पू कार्की अपनी अमर आवाज देकर सबको अलविदा तो कह गए लेकिन उत्तराखण्ड संगीत प्रेमियों के लिए ये अच्छी खबर है की अब उनका हुनरमंद बेटा दक्ष कार्की उनके ही गीतों को मधुर आवाज देकर एक नया आयाम दे रहा है। दक्ष कार्की ने अपने पिता के सुपर हिट गीत “सुन ले दगड़िया बात सुनी जा” को इतनी गहराइयों में जाकर गाया है शायद ही कोई इस गीत को दुबारा ऐसी आवाज दे पाता। दक्ष ने गीत को इतनी मार्मिक आवाज में गाया है की सुन ने वाले का दिल अंदर तक झकझोर कर रख दे। गीत को स्व. पप्पू कार्की के यूट्यूब चैनल पीके एंटरटेनमेंट ग्रुप में लांच किया हुआ मात्र 9 घंटे हुए है और अभी तक 85 हजार व्यूज लेकर अपनी जादुई आवाज से दक्ष कार्की ने सबको मोहित कर दिया है । इतनी छोटी उम्र में गीत के उतार चढ़ाव और उसके आयामों को इतनी बारीकी से सीख लेना दक्ष कार्की के लिए कोई ईश्वर का ही उपहार है और अब तो लगता है उत्तराखण्ड के लोगो के साथ साथ ईश्वर भी यही चाहता है की दक्ष कार्की अपने पिता के पदचिन्हो पर चलकर एक बड़ा लोकगायक बने और पुरे विश्व में ख्याति प्राप्त करे।
स्व. पप्पू कार्की के जिंदगी का संघर्ष – स्व. पप्पू कार्की ने उत्तराखण्ड के लोकसंगीत में जो मुकाम पाया था, उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी अपने गॉव थल (पिथौरागढ़) से दिल्ली नौकरी की तलाश में भटकते रहे और यहाँ तक की उन्होंने पट्रोल पंप और प्रिंटिंग प्रेस में भी काम किया लेकिन उनका मन शहरो में नहीं लगा क्योकि अपने उत्तराखण्ड के लोकगीतों को एक नए मुकाम पर पहुंचाने के लिए उन्हें अपने पहाड़ वापस आना ही पड़ा और जहा उन्होंने संगीत के क्षेत्र में काम करना शुरु किया तो उपलब्धियां उनके कदम चूमने लगी और इसी के चलते हल्द्वानी में उन्होंने अपना पीके स्टूडियो खोला। लेकिन ऊपर वाले को शायद कुछ और ही मंजूर था जो वो अपनी अमर आवाज देकर सबको अलविदा कह गए।
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1998 में पप्पू कार्की ने अपना पहला गीत अपने गुरु, कृष्ण सिंह कार्की की जुगलबंदी में रिकार्ड किया था यह गीत उनकी एलबम ‘फौज की नौकरी में’ का था। इसके बाद 2002 में उन्होंने एक अन्य एलबम ‘हरियो रूमाला’ में भी गीत गाए। 2003 में पप्पू कार्की ने अपनी पहली एलबम ‘मेघा’ से खुद के गाए गीतों के एल्बमों की शृंखला शुरू की, लेकिन वे कुछ ख़ास सफल नहीं हुए। इसके बाद वह दिल्ली चले गए, जहाँ 2006 में उन्होंने उत्तराखण्ड आइडल प्रतियोगिता में भाग लिया, और प्रथम रनरअप घोषित हुए थे। अपने रुद्रपुर निवास के दौरान कार्की ने लोक गायक प्रह्लाद मेहरा व चांदनी इंटरप्राइजेज के नरेंद्र टोलिया के साथ मिलकर ‘झम्म लागछी’ एलबम के लिए गाने रिकॉर्ड किए। 2010 में रमा कैसेट्स के बैनर तले रिलीज़ हुई यह एल्बम हिट रही, और इसके गीत “डीडीहाट की छमना छोरी” ने उन्हें काफी पहचान दिलाई। इस गीत के बाद पप्पू कार्की के एक से एक हिट गीत आये जो आज भी उनकी यादो को ताजा कर देते है।