गढ़वाली कविता- “मेरू स्वाणुं उत्तराखण्ड……” प्रियंका बिष्ट (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
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आवा दगड्यो तुम थैं दिखों , झांकी अपनी स्वराज की
ए माटी थें झुककर चूमो अर करो शत-शत प्रणाम की
यू देखो अल्मोड़ा यू भी एक सुंदर नगरी चा
सबु थै आकर्षित करणी वली धरती यू अनोखी चा
दूर-दूर तक दृश्य मनोहर अर बदरा काली-काली चा
सबसे प्यारी नैना देवी जिंकी झांकी निराली चा
होन्दू पूजा-पाठ चंडी मा सुबेर अर शाम..
ए माटी थै झुककर कैरो तुम भी प्रणाम ..।।
यू देखो देहरादून, यखा कि जु राजधानी चा।
अंग्रेजों की सत्ता की यख अभी भी निशानी चा।।
घंटाघर जु आकाश छूंद IMA एक ही त येकी निशानी चा।
आम,लीची का बागान यख छन मसूरी त पहाड़ों की रानी चा।।
शिक्षणम भी रैन्द दून पेली स्थान..
ये धरती थै झुककर कैरो प्रणाम..।
पौड़ी की त पहचान छन, नागर्जा मंदिर अर मां ज्वालपा भी शान चा।
थड्या लोकगीत त पौड़ी की अनोखी एक मिसाल चा।।
अलकनंदा भागीरथी कु संगम अपणु प्यारू रुद्रप्रयाग चा।
कखी पर शीतल धारा,त कखी पर उफनती सी ज्वाला चा।।
यख श्रद्धालुओं कु मन म आंद एक अलग आत्मविश्वास भी..
ए माटी थै झुककर कैरो तुम शत-शत प्रणाम भी..।
यू देखो टिहरी थै श्री देव सुमन जना वीर पली यख..
चंद्र सिंह , माधो सिंह जना वीर भी जन्म्या यख..
सेमनागराज दब्यता जखा का पालनहार होला ।
वखी मां सुरकंडा की दिन-रात जय जय कार होला ।
बिजली की पूर्ति करूंद टिहरी कु एक डैम भी।
ए माटी थै झुककर कैरो शत शत प्रणाम भी।।
अगस्त्यमुनि जख केदार बाबा कु राग चा..
कालीमठ करंद सुशोभित, तुंगनाथ कि महिमा भी अपार चा।
कदा पावन, सुहावन अपणु हरि कु हरिद्वार चा. ।
देव लोक बेकी सीधी आंदी मां गंगा की वा धार चा।
अद्भुत लगदू अपणु हरि की पैड़ी कु नाम भी..
आवा झुक कर चूमें, अर कैरो शत शत प्रणाम भी..
वेदों अर पुराणों कु नाता भी अपरंपार चा।
चमोली थै जु सुशोभित करंद बद्री बाबा कु धाम चा।
रुद्रप्रयाग कु अपणु भी एक मान चा।
बसेरा छन, जख बाबा केदार कु धाम चा।।
तपकुंड, विष्णुप्रयाग पंचप्रयाग छन यखा की जान भी..
ए धरती थै झुककर चूमों अर करो शत शत प्रणाम भी..
जब ओंदु बात उत्तरकाशी कु त क्या ही बोल्दा छन।
गंगोत्री अर यमुनोत्री से निकलदी द्वि बैणी गंगा अर यमुना छन।।
चारूं ओर हिमालय फैल्यू बडू ही भव्य नजारा छन।
इन लगदू दब्यता न येथे साक्षात उतारू छन।।
रचना- प्रियंका बिष्ट पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
Priyanka Bisht poem
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