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Khushi Bhakuni Poem
फोटो देवभूमि दर्शन khushi Bhakuni Poem

उत्तराखण्ड

कुमाऊंनी कविता- “हाय य असोज…” खुशी भाकुनी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

कुमाऊंनी कविता- हाय य असोज….Khushi Bhakuni Poem

हम भाकुनियुक असोज कुछ अलग तरीकल मनई जा
राती चार बाजी उठ बे गोर- पीवे बे धान मानहु जान हु!
चहा क पानी वाई एक घुटुक में पीन हूँ!
हर घात में पाड़ी या चाहा दगड़े जा..
चाहें गाज्योहु जान हूँ
या पराउहु जान हूँ,
हाय!
य असोजक मेहणम ईज- बोज्यू ,आम -बूब, बूढ़ बूब, खुड बूब सब याद ए जानी!
और,
पत्त न ऊ गोठ बांधी,
गोरबाछुर कलै कसी पत्त चल जा असोज लाग गो..
जल्दी गाठ बाध दियाल और राती बियाउ जल्दी पगुरन छू….
राती चार बाजी गाड़- भिड़ाहा जान और बियाहूं अबेर क घर फरकन, हर घात में पराउ गाजोउ उन्निस या बीस पु दगड़े ली जान,,,,
भातक गास कैले अबेर कै खाण,,,
य असोजक महीनम बासी रोट भात इदु मिठ चितायी जस ,(अल्मोड़क) बाल मीठे हूँ!
किलेकी कुनि ने (भूख मीठी तो भोजन अपने आप मिठा हो जाता हैं…..
रचना- खुशी भाकुनी चनौदा, सोमेश्वर, जिला- अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
Khushi Bhakuni Poem

यह भी पढ़ें- कुमाऊंनी कविता- “भूलती जड़ें, बुझती पहचान” अजय कुमार आर्य “ख्वरपीड़” (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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