कुमाऊँ की वादियों में रम गए डेविड, इनकी ठेठ पहाड़ी बोली और गीत का अंदाज ही अलग है
जहाँ उत्तराखण्ड में पलायन अपने चरम पर है ,और देवभूमि अब पलायन भूमी में तब्दील होने को हैं वही विदेशियों को यहाँ की पहाड़ी संस्कृति में रूचि बढ़ती जा रही है। विदेशी सैलानियों की उत्तराखण्ड में आवाजाही तो लगी रहती है लेकिन सबसे खाश बात तो ये है की कुछ विदेशी सैलानी यहाँ की खूबसूरत वादियों में ऐसे रम गए है की अब वो यहाँ की भाषा- बोली और रीती रिवाजो से भी भली भाँति अवगत हो चुके है। कुछ तो कुमाऊं और गढ़वाल के विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में काफी लम्बे समय से रह रहे है। ऐसे ही एक विदेशी पर्यटक डेविड है जो अब कुमाऊं में डेविड दाज्यू के नाम से प्रसिद्ध है। जो कुमाउँनी बोली तो बोलते ही है , साथ में कुमाउँनी लोकगीत भी गाते है। आजकल डेविड पिथौरागढ़ के डीडीहाट क्षेत्र में रह रहे है। बता दे की डेविड अमेरिका से है और काफी लम्बे समय से कुमाऊं क्षेत्र में रह रहे है।
डेविड बोले पहाड़ो में विकास नहीं हो रहा – बताते चले की डॉ. सुनील पंत हल्द्वानी डिग्री कॉलेज में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर है , और आजकल अपने परिवार के साथ अपने गांव डीडीहाट आये हुए है इसी बीच उनकी मुलाकत डीडीहाट प्रवास पर आए डेविड से हुई। उत्तराखण्ड के जन प्रतिनिधि तो इतने सालो से समझ नहीं सके की विकास क्यों नहीं हो रहा है , लेकिन एक विदेशी ने अपने विश्लेषण के माध्यम से बता दिया की किस कारण से पहाड़ो का विकास नहीं हो रहा है। डेविड बोलते है की पहाड़ो में बहुत भष्ट्राचार है , इसके लिए आप चुप चाप मत रहिये बल्कि कोई उचित कदम उठाइए। इतना ही नहीं डेविड ये भी बोलते है कि हिंदुस्तान में परिवर्तन हो रहा है और कहते है ” नरेंद्र मोदी जिंदाबाद “। डेविड को बहुत बार सोशल मीडिया पर कुमाँऊनी गीत गाते देखा गया है और इस बार भी उन्होंने गोपाल बाबू गोस्वामी के “कैले बाजे मुरली को बखूबी गाया है”।
पहाड़ो में हो रहे भष्ट्राचार की तुलना उन्होंने बेडू पाको गीत से कुछ इस तरह की-
“बेडू पाको बरोमासो ओ नरेन् काफल पाको चैता मेरी छैला
आपु खानी पान सुपारी मिकी दिनि बीड़ी “
डेविड कहते है ऐसा ही काम ग्राम प्रधान और वीडीओ भी कर रहे है जो आम जनता को बीड़ी और अपना पान सुपारी खा रहे है।
