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Monika Garhwal University research fellowship
Image: Monika Garhwal University (social media)

उत्तराखण्ड

पौड़ी गढ़वाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की शोधार्थी मोनिका वाइज किरन फेलोशिप के लिए चयनित

Monika Garhwal University research fellowship:हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की शोध छात्रा मोनिका का वाइज किरन फेलोशिप के लिए हुआ चयन, बढ़ाया विश्वविद्यालय परिसर का मान….

Monika Garhwal University research fellowship:  उत्तराखंड की बेटियों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है यहाँ की बेटियां आज राजनीति, शिक्षा खेल समेत अन्य विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मेहनत और सफलता के दम पर उच्च मुकाम हासिल कर रही है जो पूरे प्रदेश के लिए बेहद गर्व की बात है। इतना ही नहीं बल्कि यहां की कई सारी बेटियां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सफलता के झण्डे गाढ रही हैं। हम आए दिन आपको ऐसी ही होनहार बेटियों से रूबरू करवाते रहते हैं जिन्होंने किसी विशेष क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की हो। आज हम आपको पौड़ी जिले के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की छात्रा मोनिका से रूबरू करवाने वाले हैं जो वाइज किरन फैलोशिप के लिए चयनित हुई है।

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Hemwati Nandan Garhwal University: बता दें भारत सरकार की ओर से महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए डिपार्मेंट आफ साइंस टेक्नोलॉजी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर वॉइस किरन फैलोशिप के तहत महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। इसी योजना के आधार पर पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की भू विज्ञान की शोध छात्रा मोनिका का चयन वाइज किरन फेलोशिप के लिए हुआ है । इतना ही नहीं बल्कि मोनिका इस उपलब्धि को हासिल करने वाली गढ़वाल विश्वविद्यालय की पहली छात्रा बन गई है जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर इस मुकाम को हासिल किया है। दरअसल मोनिका को इस फेलोशिप के आधार पर अब 3 साल तक 37 हज़ार रुपए प्रति माह और 9% आवासीय भत्ता समेत अन्य खर्चो के लिए एक लाख रुपए प्रतिवर्ष दिए जाएंगे। बताते चलें मोनिका हिमालय के आग्नेय शैलों की उत्पत्ति ,आयु के साथ ही जलवायु का परीक्षण विषय पर महत्वपूर्ण शोध कार्य कर रही हैं।

जिसमें उन्होंने धारी देवी मंदिर क्षेत्र के साथ रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और बूढाकेदार इन चार क्षेत्रों को शोध के लिए चुना हैं। लावा से जो चट्टान बनती है उसे आग्नेय शैल कहा जाता है जिस पर मोनिका शोध कर रही है । जिन चट्टानों को लेकर मोनिका शोध कर रही है उनसे पाली मैटालिक्स आयरन, कापर जैसे खनिज मिलने की भी प्रबल संभावना है जो देश और प्रदेश की आर्थिकी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होगा। वाइज किरन राष्ट्रीय फैलोशिप मिलने से शोध छात्रा मोनिका को राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं में कार्य करने का भी अवसर मिलेगा। मोनिका की इस विशेष उपलब्धि के बाद से उन्हें लगातार बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

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