अगर बात करे उत्तराखंड के लोकगीतों की तो इसके लिए कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल के विभिन्न लोकगायकों को श्रेय जाता है जिन्होंने अपनी संस्कृति को अपनी आवाज से एक नयी पहचान दी है । कुमांऊ मंडल के लोकगीतों में फौजी ललित मोहन जोशी ,माया उपाध्याय ,जगमोहन दिगारी ,प्रहलाद मेहरा, स्वर्गीय पप्पू कार्की , फौजी ईश्वर सिंह मेहरा और जीतेन्द्र तोमक्याल इत्यादि का अपना अमूल्य योगदान है, वही गढ़वाल मंडल में गढ़रत्न नरेंद्र नेगी ,संगीता ढौडियाल ,दिनेश उनियाल और गजेंद्र राणा इत्यादि अपना एक विशेष नाम रखते है। फौजी ईश्वर सिंह मेहरा के विषय में जितनी तारीफ की जाए शायद वो कम हो क्योकि वो अपने देश के लिए सेवा देने के साथ साथ उत्तराखंड के लोकगीतों को भी एक नया आयाम दे रहे है और अपनी विलुप्त होती सस्कृति को संजोये रखने का पूरा प्रयास कर रहे है।
फौजी ईश्वर मेहरा और देवभूमि दर्शन की खाश बात चित – फौजी ईश्वर मेहरा डूँगरी वासबगड़ तहसील मूनस्यारी जिला पिथौरागढ़ के मूल निवासी है ,वो बताते है की बचपन से ही उन्हें पहाड़ी गीतों को लिखने और सुनने का बहुत रुझान था ,इसके साथ ही वो कहते है की “मुझे प्रहलाद मेहरा जी के गीतों को सुन सुन कर अपनी लोक संस्कृति से बेहद लगाव हुआ” आगे चलकर सबसे पहली एल्बम ” सरहद” जो 2004 में रिलीज हुई जिसमें उन्होंने एक सेन्य जीवन के ऊपर बहुत ही मार्मिक गीत बनाये और खुद ही उनको स्वर भी दिया। वे कहते है की सेना में कार्यरत होने से गीतों के लिए बहुत कम मौका मिल पाता था और जब भी उन्हें मौका मिलता तो पूरी कोशिश करते की वे अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए कुछ विशेष करे। इसके साथ ही उन्होंने बहुत सारे इस्टेज प्रोग्राम भी दिये, वो कहते है 2013-2014 में हर प्रदेश हर राज्य में सबसे अच्छी पहचान मिली “पुणे कुमाऊँ मित्र मंडल” से जहाँ सभी उत्तराखंडी भाई बहनो का प्यार मिला और अपनी संस्कृति को एक नए मुकाम पर पहुंचाने का हौसला भी मिला।
स्वर्गीय लोकगायक पप्पू कार्की को मानते है अपना मार्गदर्शक – फौजी ईश्वर मेहरा कहते है की स्वर्गीय लोकगायक पप्पू कार्की उनके परम मित्र से भी बढ़कर उनके लिए एक गुरु और दिशा निर्देशक रहें जिन्होंने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया। जिन्होंने उन्हें अपनी संस्कृति के प्रति लोक गीत बनाने और गाने के लिए प्रेरित किया। लोकगायक ईश्वर मेहरा के प्रसिद्ध गीत जो की उत्तराखंड की लोक कला पर आधारित है – सरहद , नाचो छमा छम , हाई कमला रूम झूमा, मेरी नजर त्वे मा , परदेशी दाज्यू , झुमी ग्यो पहाड़ , ढोल दमू , सरहद मेरी माला , हम छू कूमय्या , जैसे शानदार लोक गीत जो विभिन्न चैनलों से नीलम कैसेट्स ,पीके (पप्पू कार्की चैनल ) ,एटीएस मार्ट इत्यादि से दिए गए। वो कहते है की पप्पू कार्की जी की सलाह से निर्मात्री कमला मेहरा के स्वजन से एक नया चैनल im स्टार ग्रुप का निर्माण किया गया जिसका मुख़्य उद्देश्य उत्तराखंड के उभरते हुए कलाकारों को सहयोग प्रदान करना था ,जिसमे काफी गीत फौजी ईश्वर मेहरा द्वारा भी दिए गए थे,, इसके साथ ही उभरते हुए कलाकारों को मौका दिया जिसमें पदम बेलवाल ,डीगर धामी और देवेन्द्र मेहरा इत्यादि है ।
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अपनी संस्कृति के लिए करना चाहते है कुछ विशेष – लोकगायक ईश्वर मेहरा कहते है की आज जिस प्रकार अन्य राज्यों पंजाब ,हरियाणा इत्यादि की संस्कृति अपने में विशेष है उसी प्रकार उत्तराखंड की सस्कृति और भाषा बोली को भी विश्व स्तर पर एक अलग पहचान रखनी चाहिए ,इसके लिए सभी स्कूलों में स्थानीय भाषा कुमाउनी और गढ़वाली की भी पढाई होनी चाहिए। वो कहते है यह बहुत खुशी की बात है की अब प्रदेश में लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित होने लगे है, लेकिन ये हमारी बोली को महज गीतों तक ही सिमित ना रखे बल्कि इसकी विशेष पढ़ाई भी हो सभी स्कूलों में एक विषय बने ताकि आने वाली पीढ़ियों तक हमारी लोक कला बनी रहे ।
लोकगायक ईश्वर मेहरा कहते है की उत्तराखण्ड के सभी कलाकारों से उनका बहुत अच्छा परिचय रहा हैं जिसमें सबसे ऊपर स्वर्गीय पप्पू कार्की जी थे जिनके साथ काफी वक्त बिताया इसके साथ ही लोकगीतों को एक नया आयाम देने के लिए फौजी ललित मोहन जोशी, पुष्कर महर, जितेंद्र तूमूक्याल , गोविंद पवार. गजेंद्र राणा, मंगल चौहान के साथ – साथ अनिलपानू जी का भी सहयोग रहा हैं।
नीचे दिए उनके यूट्यूब चैनल पर आप उनके विभिन्न गीतों को देख सकते है।
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