हम समाज में आये दिन ऐसी खबरों से रूबरू होते रहते है जो मानवीय संवेदनाओं को अंदर ह्रदय तक झकझोर कर रख देते है। जिसमे की आजकल गर्भवती महिलाओ से संबंधित परेशानियाँ ज्यादा सुर्खियों में है। ऐसी ही एक घटना हुई है देहरादून में जहाँ कोटद्वार निवासी पंकज की पत्नी विनीता आठ माह की गर्भवती थी। वहां अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला कि आठ दिन पूर्व बच्चा पेट में ही मर चुका है। हालात नाजुक होने के चलते डॉक्टरों ने उसे दून महिला अस्पताल रेफर कर दिया। उनकी पत्नी को रविवार देर रात महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जानकारी के अनुसार ऐसा आरोप है की उसको अस्पताल प्रबंधन ने बेड उपलब्ध नहीं कराया। इससे दर्द से कराहती महिला डॉक्टरों के आगे ऑपरेशन के लिए गिड़गिड़ाती रही, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी एक नहीं सुनी। वहीं जब मामला मीडिया में उजागर हुआ तो शुक्रवार को डॉक्टरों ने महिला का आपरेशन किया। लेकिन अस्पताल के चिकित्सा प्रशासन का कहना है की महिला में खून कमी के चलते उसका ऑपरेशन नहीं किया जा रहा था। उसे छह यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।
बता दे की आठ दिन तक पेट में मरा हुआ बच्चा लेकर भटक रही महिला का जब शुक्रवार को ऑपरेशन किया गया। सबसे चौकानें वाली बात तो ये रही की बच्चा पेट में ही मर चूका था ,और अस्पताल वालो ने मृत बच्चे को परिजनों को सौंप दिया। क्या बीती होगी उस माँ पर जिसको आठ दिन अस्पताल के चक्कर काटने के बाद ये पता चला की उसका बच्चा तो आठ दिन पहले ही ख़त्म हो चूका है। ऐसी मानवीय संवेदनशील घटनाये ह्रदय को झकझोर ही करती है और समाज में लोगो का डॉक्टर और अस्पताल के प्रति भी नकारात्मक बाते ही सुन ने को मिलती है। वही ऑपरेशन के बाद महिला की हालात नाजुक बनी हुई है, जिसे तीन दिन तक चिकित्सकों की गहन निगरानी में रखा जाएगा।