उत्तराखण्ड के लक्ष्य सेन, भारत को 7 साल बाद पदक दिलाकर जूनियर बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचे
Lakshya Sen assures himself of first medal at the World Junior Championship by moving into the semishttps://t.co/997xxrcMlS
— Express Sports (@IExpressSports) November 17, 2018
पिता की देखरेख में लक्ष्य ने सीखी बैडमिंटन की बारीकियां- बता दे की लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के जाने-माने कोच हैं। और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं। अपने पिता की देखरेख में लक्ष्य ने बचपन से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया और वह मात्र चार साल की उम्र में स्टेडियम जाने लगे। लक्ष्य सेन के पिता के साथ साथ दादा सीएल सेन भी बैडमिंटन के उस्ताद है उन्हें अल्मोड़ा में बैडमिंटन का भीष्म पितामह कहा जाता है। उन्होंने कुछ दशक पहले अल्मोड़ा में बैडमिंटन की शुरुआत की। उनकी इस उपलब्धि से आज पुरे उत्तराखण्ड के नाम का परचम पूरे विश्व में लहराया है।