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उत्तराखण्ड के ओलंपियन एथलीट मनीष सिंह रावत का चयन 18वे एशियन गेम्स में 20 किमी वाक रेस के लिए हुआ





एशियन गेम्स (एशियाई खेलों) को एशियाड के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रत्येक चार वर्ष बाद आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है जिसमें केवल एशिया के विभिन्न देशों के खिलाडी प्रतिभाग करते है । इन खेलों का नियामन एशियाई ओलम्पिक परिषद द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक परिषद के पर्यवेक्षण में किया जाता है। प्रत्येक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान के लिए स्वर्ण, दूसरे के लिए रजत और तीसरे के लिए कांस्य पदक दिए जाते हैं।
एशियन गेम्स 56 साल बाद एक बार फिर जकार्ता में- 56 साल बाद एशियन गेम्स एक बार फिर जकार्ता में होने जा रहे हैं। आज उत्तराखण्ड के युवा खेल जगत में अपना एक विशेष नाम रखते  है ,जहा क्रिकेट में उत्तराखण्ड के आर्यन जुयाल, अनुज रावत और आयुष बड़ोनी ने धमाल मचाया है, और साथ ही अपने राज्य को भी एक गर्व का पल दिया है। वही अब उत्तराखण्ड के युवाओ की नजर है एशियाई गेम्स 2018 पर। बता दे की 1962 में उत्तराखंड से जुड़े दो खिलाड़ियों ने देश के लिए सोना जीता। इस बार उत्तराखंड से एकमात्र खिलाड़ी मनीष रावत इसमें प्रतिभाग कर रहे हैं। एशियाई गेम्स 2018 में मनीष रावत से उत्तराखण्ड के खेल प्रेमियों को बहुत उम्मीदे है।




20 किमी वाक रेस में एथलीट मनीष रावत का एशियन गेम्स में चयन – उत्तराखंड के ओलंपियन एथलीट मनीष सिंह रावत का चयन 18वे एशियन गेम्स में 20 किमी वाक रेस के लिए हुआ है। 18 अगस्त से दो सितंबर तक इंडोनेशिया के जकार्ता में होने वाले 18वे एशियन गेम्स में उत्तराखंड से प्रतिभाग करने वाले मनीष सिंह रावत एकमात्र खिलाड़ी है। एथलेटिक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से जारी सूची में उत्तराखंड के मनीष रावत का नाम 20 किमी वाक रेस में शामिल है। मनीष रावत चमोली जिले के देवलधार गांव के रहने वाले है ,और उत्तराखंड पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। मनीष ने 2016 में रियो ओलंपिक में 13वां स्थान हासिल किया था। जिससे खुश होकर सरकार ने मनीष को कांस्टेबल से सीधा इंस्पेक्टर के पद पर तैनात कर दिया था।




1962 में जकार्ता में ही भारत को बॉक्सिंग में पहला स्वर्ण पदक दिलाया-  उत्तराखंड के पदम बहादुर मल्ल ने जकार्ता में ही 1962 में भारत को बॉक्सिंग में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। जहाँ उन्होंने फाइनल में जापान के कानेमारु सीरातोरी को हराया था,  इसके बाद उनको बेस्ट बॉक्सर ऑफ एशिया के खिताब से सम्मानित किया गया। वो पल उत्तराखण्ड के साथ साथ पुरे भारत के लिए भी एक गौरवशाली पल था। देहरादून में जन्मे कैप्टन(रिटायर्ड) पदम बहादुर मल्ल देश के युवा बॉक्सरों के आदर्श माने जाते हैं। 1953 में गोरखा मिलिट्री स्कूल गढ़ी कैंट से 10वीं पास करने के बाद मल्ल 1955 में गोरखा राइफल्स में सिपाही के पद पर भर्ती हो गए थे। बॉक्सिंग का ऐसा जूनून था की भर्ती होने के बाद भी अपनी बॉक्सिंग की तैयारी नहीं छोड़ी और जकार्ता में 1962 में हुए चौथे एशियन गेम्स में पदम बहादुर मल्ल भी भारतीय टीम में शामिल हुए थे।
फोटो स्रोत



  जकार्ता में 1962 में हुए एशियन गेम्स में उत्तराखंड के ही स्व. त्रिलोक सिंह बसेड़ा ने भी स्वर्ण पदक जीता था-
फोटो स्रोत



जकार्ता में 1962 में हुए एशियन गेम्स में उत्तराखंड के ही स्व. त्रिलोक सिंह बसेड़ा ने स्वर्ण पदक भारत के नाम कर लिया था ,पिथौरागढ़ के भंडारी गांव (देवलथल) निवासी त्रिलोक सिंह बसेड़ा का सेना में भर्ती होने के बाद फुटबाल टीम में चयन हुआ था। इसके उपरांत उन्हें आयरन वॉल ऑफ इंडिया की भी उपाधि मिली। आयरन वाल आफ एशिया के नाम से विख्यात अंतरराष्ट्रीय फुटबालर स्व त्रिलोक सिंह बसेड़ा को सम्मान देते हुए सरकार ने उनके गृह क्षेत्र के इंटर कालेज का नाम उनके नाम पर कर दिया था । इन दोनों खिलाड़ियों के बाद अब उसी भूमी में अपनी धाक जमाने जा रहे है उत्तराखण्ड के मनीष रावत।

  

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