उत्तराखण्ड का बेटा बना विश्व का नंबर-1 प्लेयर, राष्ट्रपति ने अर्जुन अवॉर्ड से किया सम्मानित
दुखो का पहाड़ तो तब टूट पड़ा जब साल 2017 में मनोज के पिता का निधन हो गया लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने बैडमिंटन के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना पूरा किया।अपनी कड़ी मेहनत से मनोज ने नेशनल और इंटरनेशनल पैरा बैडमिंटन टीम में जगह बनाई। उनकी सफलता में उनकी माँ का बहुत बड़ा श्रेय है जिन्होंने पिता के निधन के बाद कभी भी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी और हर पल हौसला बढ़ाती रहीं।
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