आज से करीब दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में आईआईडी डिफ्यूज करते वक्त 16 फरवरी को शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट के परिजनों का अभी भी रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद के परिजनों को इस हालत में देखकर तो ऐसा लग रहा है मानो 16 फरवरी के बाद उनका सूरज उगा ही नहीं। यह बात खुद शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पिता एसएस बिष्ट कहते हैं। बकोल एसएस बिष्ट बेटे की शहादत की खबर आने के बाद से उनके लिए वक्त थम सा गया है। समय गुजरने के साथ साथ बेटे की यादें आँखों के सामने फिर ताजा हो जाती है। वैसे भी परिजनों के लिए शहादत की खबर एक ऐसा गहरा जख्म हैं जिसे सालों तक कोई नहीं भर सकता। यह बातें शहीद मेजर के पिता ने अपना दर्द मीडिया के साथ साझा करते हुए कहीं। इसके साथ ही उनकी दिली इच्छा है कि सरकार उनके बेटे शहीद मेजर चित्रेश के नाम से एक ऐसा विद्यालय खोले जिसमें गरीब परिवारों के बच्चे पढ़-लिखकर उनके बेटे की तरह एक जांबाज अफसर बने।
मेजर चित्रेश के पिता की सरकार से अपील : शहीद मेजर चित्रेश के पिता का कहना है कि सरकार को शहीदों के परिजनों से किए गए वादों को पूरा करना ही चाहिए। अपने बेटे की बचपन की तस्वीरें दिखाते हुए वह भावुक होकर कहते हैं कि उनका बेटा बचपन से ही बहादुर था। वह बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल आता था। वह हमेशा एक ही बात की जिद करता था कि उसे सेना में जाना है, मीडिया को बेटे की इन यादो से रूबरू कराते – कराते फिर उनकी आंखे डब डबा गई। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर सवाल पूछे जाने पर शहीद मेजर के पिता एसएस बिष्ट कहते हैं उन्हें दुःख है कि वर्तमान राजनीति में सेना का राजनीतिकरण किया जा रहा है। वह कहते हैं कि सेना का राजनीतिकरण करना ग़लत है ना तो किसी को इसका क्रेडिट लेने का अधिकार है और ना ही सेना के शौर्य पर सवाल उठाने का। सेना के शोर्य पर सवाल उठाने के लिए भी वह राजनीतिक दलों की आलोचना करते हुए कहते हैं कि सेना अपना काम कर रही है। सेना में एक से बढ़कर एक जांबाज आफिसर है, उनके शौर्य पर सवाल उठाने का किसी को कोई अधिकार नहीं है।