शहीद मेजर बिष्ट : देशभक्ति का ऐसा जज्बा की ‘वर्दी का फर्ज’ निभाने को नहीं माने पिता की सलाह
देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत की खबर से पुरे उत्तराखण्ड में जहाँ शोक की लहर है ,वही पाकिस्तान के खिलाफ बेहद आक्रोश भी है। जम्मू कश्मीर के राजोरी जिले में आईईडी ब्लास्ट में शहीद चित्रेश बिष्ट का परिवार दुखो के पहाड़ से पूरी तरह टूट चूका है, जहाँ एक ओर घर में परिजन शादी की तैयारियों में जुटे हुए थे वही आज बेटा तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा तो पूरी खुशियाँ मातम में बदल गई।शुक्रवार रात ही मेजर चित्रेश बिष्ट ने पिता को उनकी जन्मदिन की शुभकामनाएं फोन पर दीं और बताया कि एक विशेष ऑपरेशन के लिए आगे जाना पड़ रहा है, ऊपर से ऑर्डर आए हैं। इस पर पिता ने शादी का हवाला देकर हेडक्वार्टर में ही रहने की नसीहत दी। लेकिन बेटे चित्रेश ने बात अनसुनी कर फोन मां को देने के लिए कह दिया।
चित्रेश के पिता एसएस बिष्ट पुलिस में दंबग इंस्पेक्टर के तौर पर जाने जाते रहे हैं। इस तरह के हालात उन्होंने कई बार संभाले हैं, लेकिन आज वह बुरी तरह टूट चुके हैं। वो बार बार बस एक ही बात को दोहरा रहे है की “मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया , फिर ऐसा क्यों हो गया काश एक बार मेरी सुन लेता”। पिता कहते है की वो कहरा था, हेडक्वार्टर से एक ऑपरेशन के लिए भेज रहे हैं , मैंने उसे साफ कह दिया था कि हेडक्वार्टर को बता दे तेरी शादी होने वाली है, अब इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं है। लेकिन उसने पूरी बात नहीं सुनी और मां से बात करने लगा। कुछ देर शादी की तैयारियों के बारे में बात की ओर फिर बाद में फोन करूँगा कह के काट दिया। पिता कहते है की जिद्दी तो वो था ही लेकिन काश मेरी ये बात सुन लेता तो आज ये सब न होता।
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शेरवानी और सूट भी तैयार , होटल बैंड बाजा भी बुक : मेजर चित्रेश पिछले महीने ही घर आए थे। शादी से संबंधित उन्होंने ज्यादातर खरीदारी भी कर ली थी। शेरवानी से लेकर शूट तक तैयार कर लिया गया था। जब वे दो फरवरी को वापस ड्यूटी लौटे, तो मम्मी, पापा से कहकर गए थे कि बस कार्ड बांट लेना, बाकी तैयारी हो चुकी है। उन्होंने खुद विवाह स्थल होटल सेफ्रोन लीफ में शादी की सारी बातचित भी हो चुकी थी और बैंडबाजा भी बुक कर लिया था।
मेजर चित्रेश का अंतिम संस्कार कल होगा
चित्रेश के भाई विदेश में नौकरी करते है , इसलिए परिजनों का कहना है की भाई के पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा। पार्थिव शरीर कल मिलिट्री हॉस्पिटल देहरादून से उनके घर लाया जाएगा।
