शहीद मोहनलाल रतूड़ी के छोटे से बेटे ने दिया पिता के द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवाल का बड़ा जबाव
पिता के द्वारा अक्सर पूछे गए सवाल का दिया ये जबाव- शहीद मोहनलाल के सबसे छोटे लाडले बेटे ने बताया कि पापा उससे अक्सर एक ही सवाल पूछते थे कि बेटा राम बड़ा होकर क्या बनना चाहता है? यह कहते-कहते राम की आंखें आंसूओं से भर आई। भरी हुई आंखों से वह बोला मेंने कभी आपके सवाल का जवाब नहीं दिया और आज जब मैं जबाव दे रहा हूं तो आप हमारे बीच नहीं हो। इसके साथ ही पिता की ड्यूटी में जाने से पहले की तस्वीर को देखकर वो बोला- पापा, मैं भी अब फौजी बनूंगा, वतन की हिफाजत करूंगा और दुश्मनों से आपकी शहादत का बदला भी लूंगा। तस्वीर में शहीद मोहनलाल सीना तान कर खड़े थे। जिनको देखकर ही इस दुःख की घडी में भी यह मासूम बालक जोश से भरा हुआ था। वह बोला पिता की यही यादें मुझे इन कठिन परिस्थितियों में भी लड़ने का होंसला प्रदान करती है। पिताजी को याद करते हुए वह बताता है कि पिछले दो साल से उसके पापा कश्मीर में तैनात थे। इस दौरान जब भी वह घर आते थे तो कश्मीर के आंतक की कहानियां सुनाते थे। वो कहते थे कि कश्मीर की ठंड से दुगुना गर्म वहां का माहौल है, जिसका एकमात्र कारण कश्मीर में फैला हुआ ये आतंक ही हैं। वहां एक बार आपरेशन शुरू हो जाए तो वह कई दिनों तक चलता रहता है। इस खराब माहोल के कारण ही कश्मीर में भूख के बावजूद भी खाना खाने का मन नहीं करता।
गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। हमले में शहीद हुए जवानों में मूल रूप से उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ के बनकोट गांव के रहने वाले मोहनलाल रतूड़ी भी शामिल थे। वर्तमान में देहरादून के कांवली रोड स्थित नेहरू पुरम एमडीडीए कालोनी निवासी मोहनलाल रतूड़ी सीआरपीएफ की 110वीं वाहिनी में एएसआई के पद कार्यरत थे। 53 वर्षीय शहीद मोहनलाल के पांच बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी अनुसुइया का विवाह हो चुका है। दूसरे नंबर का बेटा शंकर योगा प्रशिक्षक है। तीसरी बेटी वैष्णवी ने हाल ही में ग्रेजुएशन पूरा किया है तो चौथे नंबर की बेटी गीता अभी 12वीं में है। शहीद मोहनलाल के सबसे छोटे बेटे का नाम राम है। 14 वर्षीय मासूम बालक राम 9वीं में पड़ता है। शहीद मोहनलाल रतूड़ी के सभी बच्चे बताते हैं कि उनकी पिता से अंतिम बार बात 14 फरवरी की सुबह करीब 11:30 बजे हुई थी, जिसमें पापा ने हर बार की तरह सबका हाल-चाल पूछा था। सबसे छोटा बेटा राम कहता हैं कि क्या पता था कि ये उसकी पापा के साथ अंतिम बात होगी और शाम को उनकी शहादत की खबर मिलेगी।