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उत्तराखण्ड

नैनीताल

उत्तराखंड: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्रवासियों को बार्डर में ही संस्थागत क्वारंटीन करें सरकार

हाइकोर्ट (nainital highcourt) ने सरकार से कहा राज्य सीमा पर ही की जाए रेड जोन से आने वाले प्रवासियों की जांच, रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही दिया जाए प्रवेश..

उत्तराखंड में लगातार घर वापसी कर रहे प्रवासियों को लेकर इस वक्त सबसे बड़ी खबर नैनीताल से आ रही है। जहां हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बडा आदेश दिया हैं। हाईकोर्ट (nainital highcourt) ने राज्य सरकार से कहा है कि प्रदेश में रेड जोन से आ रहे सभी प्रवासियों की जांच राज्य की सीमाओं पर ही की जाए। इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि रेड जोन से आने वाले प्रत्येक प्रवासी को आवश्यक रूप से बॉर्डर पर ही संस्थागत क्वारंटीन किया जाए, और जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें राज्य में प्रवेश देकर घर भेजा जाएग। ये सभी आदेश हाईकोर्ट ने हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल और नैनीताल जिले के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। इस दौरान राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को ग़लत ठहराते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि केवल ग्राम प्रधानों को कारवाई का आदेश देना गलत है इसने भी गांवों में हो रहे प्रवासियों के विरोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  इसी  कारण ग्राम प्रधानों को भी ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ रहा है और गांव में आने वाले प्रवासियों के साथ भी ग़लत व्यवहार किया जा रहा है।



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सुविधाओं के अभाव में प्रवासियों के साथ ही प्रधानों को भी झेलना पड़ रहा ग्रामीणों का विरोध, प्रधान खुद भी जता चुके हैं प्रवासियों को होम क्वारंटीन करने में असमर्थता:-

सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट (nainital highcourt) ने साफ-साफ कहा कि जिस तरह से प्रवासियों को अपने ही गांव में विरोध झेलना पड़ रहा है वह निंदनीय है परन्तु इसके लिए ग्रामीणों को दोषी करार देना कत‌ई उचित नहीं है। कोरोना संक्रमण से भयभीत ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। इसी कारण प्रवासियों सहित ग्राम प्रधानों को भी उनके विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसी कारण यह जरूरी है कि रेड जोन से आने वाले सभी प्रवासियों की जांच बार्डर पर ही की जाए और वही उन्हें तब तक संस्थागत क्वारंटीन भी किया जाए  जब तक कि उनकी जाच रिपोर्ट निगेटिव ना प्राप्त हो जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि बड़ी संख्या में वापस लौटते प्रवासियों को गांव के स्तर पर संस्थागत क्वारंटीन करना भी संभव नहीं है। ग्राम प्रधानों के संगठन ने भी इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि गांवों में सुविधाओं का अभाव प्रवासियों के विरोध का मुख्य कारण है।


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