कभी जंगली भालू तो कभी बाघ के आतंक से उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र के लोगो का जीना दूभर हो गया है , ऐसी दहशत फैली है पहाड़ो में की लोग अपने दैनिक कार्यो के लिए भी नहीं जा पा रहे है। “मुझे यह लगता है की डर का न होना साहस नहीं है बल्कि डर पर विजय पाना साहस है, बहादुर वह नहीं है जिसको भय होता है बल्कि बहादुर वह है जो उस भय को मात दे दे।” नेल्सन मंडेला की कही गई इन पंक्तियों को सच साबित कर दिखाया है, देवभूमि उत्तराखण्ड के एक युवक ने। जी है हम बात कर रहे हैं, बागेश्वर में रहने वाले पंकज सिंह मेहरा की। जिन्होंने अपने साहस और बहादुरी के बल पर हमला करने आए एक तेंदुए को उल्टे पांव लोटने को मजबूर कर दिया। हालांकि तेंदुए के अचानक किए गए इस हमले से वह घायल भी हो गए हैं। मूलत: बागेश्वर में गढ़खेत रेंज के कालारौ बैगांव में रहने वाले पंकज सिंह मेहरा (17) पुत्र मदन सिंह ने अपनी इस साहस और बहादुरी का परिचय उस समय दिया, जब इसकी उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पंकज रविवार को अपनी बकरियों को चराने के लिए जंगल में ले गया था। जंगल में पहले से बकरियों की ताक में घात लगाकर बैठे हुए एक तेंदुए ने पंकज पर हमला कर दिया। इस परिस्थिति में भी पंकज घबराया नहीं बल्कि उसने तेंदुए के इस हमले का बहादुरी से सामना किया। बता दें कि जिस समय तेंदुए ने पंकज पर हमला किया, उस समय पंकज के हाथ में एक दरांती थी। और पंकज ने उसी दरांती से तेंदुए के हमले का जवाब दिया। प्रतिरोध होने पर अपनी दाल न गलता देंख तेंदुआ वहां से दबे पांव जंगल की ओर भाग गया। हमले के दौरान तेंदुए का एक पंजा पंकज के सर पर भी लगा। परंतु अपनी बहादुरी से पंकज ने अपने प्राण बचा लिए। बहादुरी का परिचय देने वाले युवक पंकज सिंह मेहरा का शोर सुनकर मौके पर जंगल पहुंचे ग्रामीणों ने पंकज को मोहन सिंह मेहता सीएचसी बैजनाथ पहुंचाया। जहां अस्पताल प्रभारी एसएस गुंज्याल और फार्मेसिस्ट आनंद वर्मा ने प्राथमिक उपचार के बाद पंकज को घर भेज दिया। सूचना मिलते ही वन रक्षक आनंद सिंह परिहार भी अस्पताल पहुंच गए। वन विभाग से तेंदुए को पकड़ने एवं घायल को उपचार के लिए शीघ्र आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु नौगांव के भूतपूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य त्रिलोक बुटोला, जखेड़ा के ग्राम प्रधान ईश्वर परिहार, नैकाना की ग्राम प्रधान प्रेमा परिहार सहित क्षेत्र के तमाम लोगों ने मांग की है।