पौड़ी में जिंदा जलाई गई छात्रा अपनी जिंदगी की जंग हार गयी, दिल्ली अस्पताल में तोड़ा दम
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कफोलस्यू पट्टी के एक गांव की छात्रा को जिंदा जलाए जाने के मामले में पीड़ित छात्रा ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। छात्रा की मौत से पट्टी सहित मुख्यालय में शोक की लहर है। जिंदा जलाई गई छात्रा सात दिन तक जूझने के बाद अपनी जिंदगी की जंग हार गई। घरवालों ने जैसे ही यह खबर सुनी मां सदमे में आ गईं।
गौरतलब है कि पौड़ी तहसील की कफोलस्यूं पट्टी के एक गांव की 18 वर्षीय युवती रविवार को बीएससी की प्रयोगात्मक परीक्षा देकर स्कूटी से घर लौट रही थी। रास्ते में गहड़ गांव का मनोज सिंह उर्फ बंटी उसका पीछा करने लगा। बंटी टैक्सी चालक बताया जा रहा है। पीछा करते करते कुछ देर बाद एक सुनसान जगह कच्चे रास्ते पर उसने छात्रा को जबरन रोककर उससे जबरदस्ती करनी शुरू कर दी। छात्रा के विरोध करने पर आरोपी ने उसके ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी और मौके से फरार हो गया। खबर है की छात्रा ने बड़ी मुश्किल से खुद की आग बुझाई , सुनसान जगह होने की वजह से गांव काफी दूर थे जिसकी वजह से छात्रा की चीख पुकार भी किसी को नहीं सुनाई दी। छात्रा काफी देर तक वही पड़ी रही , मौके से गुजर रहे एक ग्रामीण ने छात्रा को जली हुई हालत में रास्ते में पड़ा देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी।
जिंदगी के लिए भटकी इधर उधर :डॉ. बीपी मौर्य और डॉ. पंकज कुमार शर्मा के अनुसार छात्रा का शरीर लगभग 70 प्रतिशत झुलसा हुआ था । यहां से छात्रा को ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया। एम्स ऋषिकेश में 25 चिकित्सकों का दल छात्रा का उपचार कर रहा था। 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर छात्रा का हाल जाना था। 19 दिसंबर सुबह छात्रा को एयर एंबुलेंस से सफदरजंग अस्पताल दिल्ली रेफर किया गया। रविवार सुबह छात्रा ने उपचार के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।घटना से दुखी आरोपी के पिता ने कहा कि जीवन में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका बेटा उन्हें इस तरह से शर्मसार करेगा। उन्होंने कहा कि बेटा हमारा है, लेकिन उसके अपराध की माफी नहीं है। उसे उसके अपराध की कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए। घटना के बाद पूरे प्रदेश में घटना के विरोध में आक्रोश भर गया था। आरोपी का परिवार घटना के बाद सहमा हुआ है। परिवार का कोई सदस्य घर से बाहर नहीं निकल रहा है।
