
“मंजिले उन्ही को मिलती हैं,
जिनके सपनो में जान होती है,
पंखो से कुछ नहीं होता,
होसलों से उड़ान होती है”…
इस पक्ति को सहीं साबित करके दिखाया है देवभूमि के एक मध्यम गरीब परिवार के बेटे सचिन सनवाल (Sachin sanwal) ने। सचिन ने अपनी मेहनत के बल पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया जिसकी चर्चा आज देवभूमि के हर घर में हो रही होगी। बता दे कि उत्तराखड के नैनीताल जिले के रहने वाले सचिन के पिता एक चाय की दुकान चलाते है। उन्होने कडी मेहनत करके सचिन को पढाया-लिखाया और उसके उज्जवल भविष्य की सुंदर कहानी लिखी। सचिन ने भी अपनी कडी मेहनत के बल पर अपने पिता के द्वारा सपनो में लिखी कहानी को आज सार्थक कर हकीकत में बदल दिया। जी हां बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड साइंसेज भीमताल में बीटेक चतुर्थ वर्ष के छात्र सचिन का चयन कनाडा की बहुराष्ट्रीय कंपनी ऐरोफ्लोट एविएशन के लिए हुआ है। कंपनी ने उन्हें नियुक्ति पत्र भेज दिया है। जिसके अनुसार कंपनी सालाना एक करोड़ भारतीय रुपये का पैकेज देगी। सचिन के इस सफलता से उनके घर के साथ ही पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सचिन की यह कामयाबी क्षेत्र के साथ ही राज्य के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
बता दे कि नैनीताल जिले के भीमताल बाजार में छोटा सा रेस्टारेंट चलाने वाले मोहन सनवाल के बडे बेटे सचिन सनवाल (Sachin sanwal) का चयन कनाडा की बहुराष्ट्रीय कंपनी ऐरोफ्लोट एविएशन के लिए हुआ है। पिता अपने छोटे से रेस्टोरेंट में चाय के साथ ही छोटा मोटा सामान बेचते है। सचिन की माता रेनू सनवाल एक कुशल गृहणी हैं। अपनी 12 वीं तक की पढाई लेक्स इंटरनेशनल स्कूल से करने वाले सचिन इन दिनों बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड साइंसेज भीमताल में बीटेक चतुर्थ वर्ष के छात्र हैं। जहां उनका अतिम सेमेस्टर चल रहा है। घर पर नियमित छह घंटे पढ़ाई करने वाले सचिन के अनुसार उन्होने कनाडा की ऐरोफ्लोट एविएशन की कास्केड एयरोस्पेस कम्पनी में नौकरी के लिए आनलाइन आवेदन किया था जिसके बाद कम्पनी की ओर से आनलाइन इटरव्यू का आयोजन किया गया। जिसमें सफल होने के बाद उन्हे ज्वाइनिंग लेटर भेजकर जुलाई से अगस्त तक ज्वाइन करने के लिए कहा गया है। उनकी छोटी बहन आकांक्षा सनवाल ने इस बार 12वीं की परीक्षा दी है। सचिन की इस सफलता से परिवार तथा कालेज में खुशी का माहौल है। कालेज ने तो ज्वानिग लेटर मिलते ही सचिन के परिजनों को सम्मानित भी कर दिया है। सचिन अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता तथा कालेज के अध्यापकों को देते हैं।
साभार:- rajyasameeksha.com