उत्तराखण्ड :दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क दिया गया तो ऐसे स्कूलों की खैर नहीं
देवभूमि उत्तराखंड के नन्हे मुन्ने बच्चों एवं उनके अभिभावकों के लिए हम आज दो ऐसी खबर लेकर आए हैं जिसे सुनकर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान तो आएगी ही साथ ही अभिभावकों की टेंशन भी काफी हद तक कम हो जाएगी। नन्हे मुन्ने बच्चों का उनके वजन से भी ज्यादा भारी बैग अब ज्यादा दिनों तक बच्चों की सुन्दर मुस्कान नहीं छिन पायेगा साथ ही मस्ती भरे बचपन के खेलने-कूदने के दिनों में उन्हें होमवर्क के लोड से भी मुक्ति मिलेगी। जी हां, इसके लिए शिक्षा सचिव डॉ• आर• मीनाक्षी सुंदरम की ओर से निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को इस सम्बन्ध में आदेश भी जारी किए जा चुके हैं जिसमें कहा गया है कि राज्य के सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी (निजी) विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा यदि दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होमवर्क दिया गया तो ऐसे स्कूलों का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश में सभी कक्षाओं के बच्चों के स्कूली बैग का वजन भी तय किया गया है। इसके साथ ही शिक्षा सचिव ने साफ निर्देश दिए हैं कि अगर कोई भी विद्यालय आदेश का पालन नहीं करता तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
बता दें कि गुरुवार को शिक्षा सचिव डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि दूसरी कक्षा तक के बच्चों को शिक्षकों द्वारा कोई होमवर्क नहीं दिया जाए जबकि तीसरी कक्षा से ऊपर के बच्चों को सप्ताह में अधिकतम दो घंटे का होमवर्क दिया जा सकता है। इसके साथ ही पाठ्यक्रम एवं विषय के संबंध में भी गाइडलाइन जारी करते हुए शिक्षा सचिव ने कहा है कि दूसरी कक्षा तक के बच्चों को गणित और भाषा के अलावा कोई विषय नहीं पढ़ाया जाए जबकि तीसरी कक्षा से ऊपर के बच्चों को भाषा, गणित और पर्यावरण विज्ञान के अलावा कोई भी विषय पढ़ाने पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही बच्चों के स्कूली बैग का वजन भी आदेश में तय किया गया है जिसके अनुसार दूसरी कक्षा तक के बच्चों के स्कूली बैग का अधिकतम वजन डेढ़ किलो, तीसरी से पांचवीं कक्षा के बच्चों के बैग का वजन दो से तीन किलो तथा पांचवीं से आठवीं तक के बच्चों के स्कूली बैग का अधिकतम वजन चार किलो तो दसवीं कक्षा के स्कूली बैगों का वजन पांच किलो तय किया गया है।
